22 नवंबर, 2009

असम में बम धमाके, सात मरे

असम के नलबाड़ी में आज एक पुलिस थाने के नजदीक संदिग्ध उल्फा उग्रवादियों द्वारा किए गए दो बम विस्फोटों में सात लोग मारे गए तथा 54 अन्य घायल हो गए। मीडिया रिपोर्टों में गोपाल बाजार में भी धमाके की बात कही जा रही है।


उल्फा के स्थापना दिवस से पाँच दिन पहले हुई इस वारदात के बाद राज्य में हाई अलर्ट घोषित करके प्रभावित इलाकों में सघन तलाशी अभियान शुरू किया गया है।

नलबाड़पुलिस अधीक्षक जितमोल डोले ने कहा कि धमाकों में गम्भीर घायल हुए 34 लोगों को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज तथा नलबाड़ी सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि अराजक गतिविधियाँ करने के मकसद से उल्फा उग्रवादियों के राज्य में प्रवेश की खुफिया सूचनाओं के मद्देनजर ऊपरी एवं निचले असम जिलों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। खुफिया सूचनाओं के मुताबिक उल्फा की प्रतिबंधित 709वीं तथा 27वीं बटालियन के नौ उग्रवादी असम में प्रवेश कर चुके हैं।

समदिल्ली में मौजूद असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा हम निर्दोष लोगों की हत्या सहन नहीं कर सकते। राज्य में सुरक्षा व्यवस्था और चौकस करने के साथ-साथ इस घटना के दोषी लोगों को पकड़ने के लिए सघन तलाशी अभियान शुरू किया गया है।

पहला धमाका गुवाहाटी से 70 किमी दूर नलबारी थाने के ठीक सामने सुबह 10.15 बजहुआ। इसके तुरंत बाद करीब बीस फुट की दूरी पर दूसरा धमाका हुआ, जबकि तीसरा धमाका गोपाल बाजार इलाके में हुआ है।

बम रखने के लिए साइकिलों का इस्तेमाल किया गया था। वे साइकिलें एक-दूसरे से 50 मीटर की दूरी पर रखी गई थीं और उन पर रखे बमों में कुछ मिनट के अंतराल पर विस्फोट हुआ। शहर में तीसरा बम विस्फोट होने और उसे पुलिस द्वारा छुपाए जाने की अफवाहें भी फैलीं।

दूसरे धमाके में चार लोगों की मौके पर ही मृत्यु हो गई, जबकि दो अन्य का अस्पताल ले जाते वक्त रास्ते में दम टूट गया। धमाकों के बाद लोग इसके विरोध में अपने घर से बाहर निकल आए और उल्फा के खिलाफ नारेबाजी की।

अभी तक किसी ने इन धमाकों की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन इसका संबंध उल्फा से जोड़कर देखा जा रहा है। असल में 27 नवंबर को अल्फा का स्थापना दिवस है और इससे पहले असम में धमाकों की आशंका व्यक्त की जा रही थी।

इतना ही नहीं करीब 15 दिन पहले उल्फा के दो बड़े नेता शशधर चौधरी और चित्रवन हजारिका को बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया है। चूँकि शशधर चौधरी नलबाड़ी के हैं, इसलिए माना जा रहा है कि चौधरी की गिरफ्तारी के विरोध में ये धमाके हुए हैं।


उल्फा धमाके में शामिल नहीं : उल्फा की 709वीं बटालियन के कमांडर हीरा सरानिया ने एक स्थानीय समाचार चैनल से कहा कि उल्फा किसी भी तरीके से बम विस्फोट में शामिल नहीं रहा और उसके खिलाफ आरोप केवल शांति प्रक्रिया को पटरी से उतारने के लिए लगाए जा रहे हैं।

इलाके में घूमते देखे गए पाँच लोग : मीडियरिपोर्टों के मुताबिक कुछ दिन पहले पाँच संदिग्ध लोगों को इलाके में घूमते हुए देखा गया था। इसके अलावा पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने सात लोगों के बांग्लादेश की सीमा से असम में घुसपैठ करने की बात भी कही थी। माना जा रहा है कि धमाकों के पीछे इन्हीं लोगों का हाथ हो सकता है

सड़क किनारे साइकिल रखने की अनुमति नहीं : खबरोके मुताबिक पिछले साल प्रदेश में हुए बम धमाकों में साइकिल बम का इस्तेमाल सामने आने के बाद पुलिस ने सड़क किनारे साइकिल रखने पर पाबंदी लगा रखी है। इसके बावजूद उग्रवादी अपने इरादों में कामयाब हो गए।

उल्फा का अहम ठिकाना है नलबाड़ी : न्यूज चैनलों की मानें तो नलबारी आतंकी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है। सन 1990 के दशक में यहाँ कई आतंकवादी घटनाएँ हो चुकी हैं। भूटान सीमा से लगे होने के कारण उल्फा इसे अपने लिए काफी मुफीद मानता है। सूत्रों के मुताबिक भूटान स्थित आतंकवादी शिविरों के उग्रवादी अकसर नलबारी आकर अपनी गतिविधियाँ चलाते रहे हैं।

शांति चाहते हैं असमवासी : इस वक्त दिल्ली में मौजूद असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने इन बम विस्फोट की घटनाओं की आलोचना करते हुए इन वारदात में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और इसके दोषी लोगों के साथ सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि असम के लोग हिंसा नहीं शांति चाहते हैं और वे मासूम लोगों की हत्या सहन नहीं करेंगे। उन्होंने प्रभावित लोगों को बेहतर मेडिकल सुविधाएँ मुहैया कराने के निर्देश भी दिए।

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