22 अप्रैल, 2009

विकास पर भारी न पड़ जाए बेटी और वोट का जुमला

गंगा पार के दो विधानसभा गोपालपुर और बिहपुर के सवा चार लाख वोटर पहली बार भागलपुर संसदीय क्षेत्र का सांसद चुनेंगे। इसको लेकर मतदाताओं में उत्साह है। सक्रिय प्रत्याशियों के पार्टी दफ्तर भी खुल चुके हैं। कई मुद्दों के बीच वोट भुनाने की जुगत हर प्रत्याशी कर रहे हैं। आरोप - प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। गंगा व कोसी के कहर से लेकर सड़क से लेकर शिक्षा तक चुनाव का मुद्दा बनता जा रहा है। गोपालपुर प्रखंड में एक गांव में जहां नीतीश सरकार की आरक्षण नीति को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं वहीं कोसी पार में पुल व सड़क का मुद्दा सबसे भारी है। पंचायत प्रतिनिधियों के भेदभावपूर्ण रवैये से ग्रामीण मतदाता नाराज हैं तो शहरी क्षेत्र के लोग स्थानीय प्रतिनिधियों की उपेक्षा से खफा हैं। यहां स्थानीय मुद्दों के साथ- साथ विधि- व्यवस्था भी एक बड़ा मुद्दा है। शहर के एक व्यापारी कहते हैं हमलोग प्रत्याशी को नहीं नीतीश कुमार के विकास को देख रहे हैं । इस इलाके में एक जुमला है कि यहां के लोग 'बेटी व वोट अपनी ही बिरादरी को देते हैं'। फिलहाल यहां की बेटियों के द्वारा खुद मनपसंद दूल्हा के लिए घर छोड़े जाने का मामला चर्चा में रहा है। लोग बेटी और वोट के जुमले में विकास के भविष्य को टटोल रहे हैं। अब देखना है कि मतदान में वोट व बेटी का जुमला तथा विकास व विधि व्यवस्था जैसे मुद्दों में वोटरों का रूख क्या होता है।

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