रिकार्ड्स के मामले में सचिन तेंडुलकर भले ही महेंद्र सिंह धोनी से आगे हों लेकिन पिछले एक साल के दौरान दौलत कमाने में धोनी ने सचिन को बहुत पीछे छोड़ दिया है। फोर्ब्स मैग्जीन ने दुनिया के 100 धनी खिलाडिय़ों की जो सूची जारी की है, उसमें धोनी 31वें और सचिन 78वें नंबर पर हैं।
मैग्जीन के अनुसार चैंपियन मुक्केबाज फ्लायड मेवेदर 475 करोड़ रुपये की कमाई के साथ शीर्ष पर हैं। वे अभी लॉस एंजिल्स जेल में सजा काट रहे हैं। सबसे अधिक कमाई के मामले में मेवेदर के बाद मुक्केबाज मैनी पाक्वियो (345 करोड़ रुपये) और गोल्फर वुड्स (332 करोड़ रुपये) का नंबर आता है।
मैग्जीन के मुताबिक सचिन की कुल कमाई 104 करोड़ रुपये है। इसमें तेंडुलकर ने 92 करोड़ रुपये विभिन्न कंपनियों के लिए विज्ञापन करके कमाया है। वहीं धोनी की कुल कमाई 148 करोड़ रुपये है। इसमें विज्ञापनों से होने वाली कमाई की हिस्सेदारी 128 करोड़ रुपये है।
दिलचस्प है कि भारतीय कप्तान की विज्ञापनों से कमाई दुनिया के सबसे लोकप्रिय फुटबॉलर लियोनेल मेसी से भी अधिक है। मेवेदर की जो भी कमाई है वह उनके खेल से ही है, विज्ञापनों की हिस्सेदारी शून्य है। वह अपनी कंपनी मेवेदर प्रोमोशंस के जरिये अपने खेल को प्रमोट करते हैं।
पेशा क्रिकेटर का, कमाई कहीं और से
देखा जाए तो सचिन और धोनी को क्रिकेट से बहुत कुछ मिला। यदि ये क्रिकेट नहीं खेल रहे होते तो जाहिर है, कंपनियां विज्ञापन के लिए इन्हें नहीं पूछतीं। अपने बेहतरीन खेल की बदौलत इन क्रिकेटरों के देश सहित दुनियाभर में करोड़ों फैन बने। यही वजह है कि कंपनियां इन खिलाडियों से विज्ञापन कराकर करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं। सचिन को तो क्रिकेट की बदौलत 'भगवान' का दर्जा मिल गया। क्रिकेट सचिन हाल में राज्यसभा के सदस्य के तौर पर नामित हुए हैं, वह भी अपने खेल के दम पर। सचिन को इंडियर एयरफोर्स में ग्रुप कैप्टन का मानद रैंक दिया गया। सचिन को भारत रत्न दिए जाने की मांग देशभर में उठ रही है।
कमोबेश सचिन जैसा ही हाल भारतीय कप्तान का है। धोनी हालांकि अभी राज्यसभा तक नहीं पहुंचे हैं, लेकिन उन्हें टेरीटोयिल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल का मानद रैंक दिया गया है। धोनी को हाल में नेपाल क्रिकेट का एम्बेसडर भी बनाया गया है।
आपकी बात
सचिन ने बतौर सांसद शपथ लेने के बाद कहा था, 'मैं यहां अपने खेल की बदौलत पहुंचा हूं। मैं इस खेल पर से फिलहाल ध्यान नहीं हटा सकता। जब भी समय मिलेगा, मैं राज्यसभा के सदस्य के तौर पर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करूंगा।' हकीकत यह है कि क्रिकेट सचिन का पेशा है यदि सचिन खेलना छोड़ देते हैं तो उनकी करीब 90 फीसदी कमाई हाथ से चली जाएगी। सवाल यह है कि जिस क्रिकेट के दम पर सब कुछ मिल रहा है, उसे ढाल बना कर कंपनियों के लिए काम करना कहां तक जायज ठहराया जा सकता है? वास्तव में सचिन-धोनी जैसे हमारे क्रिकेटर्स किसके लिए खेल रहे हैं? क्या उनका यह दावा कि हम देश के लिए खेलते हैं, खेलेंगे सही माना जा सकता है? अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्स में लिख कर सबमिट करें और बहस में शामिल हों। आप इस आर्टिकल के साथ लगे ओपीनियन पोल (ऊपर बाएं) में अपना वोट भी दर्ज करा सकते हैं।