ऐसा लगता है कि एक अप्रैल, 2009 के बाद नकदी निकालने के लिए लोगों ने बैंक शाखाओं का रुख करना ही बंद कर दिया है। नकदी निकालने के लिए अब अधिसंख्य लोग एटीएम की तरफ दौड़ पड़े हैं। दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई)के निर्देश के मुताबिक इस महीने की शुरुआत से किसी भी बैंक के एटीएम से नकदी निकालने को शुल्क मुक्त कर दिया गया है। इसका असर यह हुआ है कि अब ग्राहक बेधड़क एटीएम का उपयोग करने लगे हैं। हालांकि इससे बैंकों की मुसीबत बढ़ गई है। एटीएम पर दबाव बढ़ने से बैंकों की संचालन लागत में काफी वृद्धि होने की संभावना है।
एटीएम के शुल्क मुक्त होने के बाद देश भर के सारे एटीएम का रोजाना 10 लाख से ज्यादा बार इस्तेमाल किया जा रहा है। आरबीआई की तरफ से उपलब्ध कराई गई एक जानकारी के मुताबिक 11 अप्रैल, 2009 को देश में 11 लाख बार एटीएम का उपयोग किया गया। जबकि मार्च, 2009 में औसतन रोजाना 8 लाख 90 हजार बार ही एटीएम का उपयोग हो रहा था। पिछले एक वर्ष में एटीएम इस्तेमाल करने वालों की संख्या चार गुना ज्यादा हो चुकी है। मार्च, 2008 में प्रति दिन औसतन 2 लाख 67 हजार बार एटीएम का इस्तेमाल हो रहा था। बैंकिंग सूत्रों का कहना है कि शुल्क मुक्त होने के बाद लोगों के बीच एटीएम को लेकर झिझक खत्म हो गई है। पहले जिन ग्राहकों के पास एटीएम होता था वे भी इसका इस्तेमाल नहीं करते थे।
हालांकि एटीएम पर दबाव बढ़ने से बैंकों की मुसीबत कुछ बढ़ गई है। ग्राहकों की संख्या बढ़ने से एटीएम में गड़बडि़यों की तादाद बढ़ गई है। सबसे ज्यादा भीड़ वाले एटीएम में तकनीकी खामियां भी होने लगी हैं। एक बार एटीएम का उपयोग करने पर 26 रुपये की लागत आती है। इससे बैंकों के सामने एक समस्या और आती है, वह यह कि अगर दूसरे बैंक का एटीएम है तो स्विचिंग शुल्क ज्यादा होने की वजह से लागत भी ज्यादा आती है। यही कारण है कि अभी तक बैंक दूसरे बैंकों के एटीएम से नकदी निकालने पर ज्यादा शुल्क लिया करते थे। शुल्क मुक्त होने की वजह से बैंकों पर दोहरी मार पड़ रही है। अपने ग्राहकों का बोझ भी सहना पड़ रहा है और दूसरे बैंकों के ग्राहकों का भी।
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