29 जनवरी, 2013

कालेजों में मानवाधिकार की पढ़ाई होगी अनिवार्य

विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों के छात्र-छात्राओं को अब मानवाधिकार को अनिवार्य तौर पर पढ़ना होगा.
 इस विषय को आगामी सत्र से सभी विषयों की डिग्री का अनिवार्य हिस्सा बनाने के निर्देश दिए गए हैं. यह विश्वविद्यालयों को तय करना है कि वे इसे परीक्षा वाले विषय के रूप में शामिल करेंगे या फिर जागरूकता
पैदा करने वाले विषय के तौर पर. विश्वविद्यालय चाहें तो इसे लघुकालिक प्रमाण पत्र पाठय़क्रम के रूप में भी आरंभ कर सकेंगे.
अब तक स्नातक स्तर पर तीन वैकल्पिक विषयों के अलावा कुछ विषयों को किसी एक या दो वर्ष में अनिवार्य विषय के तौर पर पढ़ाया जाता रहा है. इन विषयों में पर्यावरण शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य है, जबकि विभिन्न भाषाएं, एनएसएस, संस्कृति अध्ययन तथा ऐसे ही कुछ अन्य विषयों में किसी एक या दो पेपर की परीक्षा अनिवार्य विषय के तौर पर ली जाती है. अब, अनिवार्य विषयों की सूची में मानवाधिकार भी शामिल होने जा रहा है. इस विषय को यूजीसी की हाल ही में संपन्न हुई 490वीं बैठक में विचार के लिए रखा गया था. इसका मूल प्रस्ताव यह था कि युवाओं को किस प्रकार आतंकवादी, अतिवादी व कट्टरतावादी गतिविधियों से अलग रखा जाए.
इसी क्रम में यह सहमति बनी कि मानवीय-मूल्य और मानवाधिकार जैसे विषयों को सभी उपाधियों के साथ अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाए. इस प्रस्ताव को यूजीसी ने सर्वसम्मति से हरी झंडी दी है. इसी क्रम में विश्वविद्यालयों को निर्देश दिए गए हैं कि मानवाधिकार को मानविकी और भाषा विषयों के अलावा इंजीनियरिंग-तकनीकी और प्रोफेशनल विषयों में भी अनिवार्यत: पढ़ाया जाएगा. विश्वविद्यालयों को यह छूट दी गई है कि वे चाहें तो मानवाधिकार को ऐसे विषय के तौर पर भी पढ़ा सकते हैं, जिसकी परीक्षा न ली जाए.
इसे नॉन क्रेडिट विषय कहा जाएगा. इसके साथ-साथ विश्वविद्यालय को यह छूट भी दी जाएगी कि वे मानवाधिकार विषय में लघुकालिक सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू कर सकते हैं. इनकी पढ़ाई सेमेस्टर के बीच में होने वाले अवकाश के दिनों में की जा सकती है. जो युवा ऐसे सर्टिफिकेट कोर्स में पंजीकृत होंगे, उन्हें अपनी उपाधि के साथ मानवाधिकार को अनिवार्य विषय या पेपर के तौर पर नहीं पढ़ना होगा.
इसी प्रकार जिन्होंने स्नातक स्तर पर तीनों में से किसी भी वर्ष में मानवाधिकार विषय की पढ़ाई की होगी, उन्हें इसके बाद की किसी उपाधि में मानवाधिकार विषय को पढ़ने की अनिवार्यता नहीं होगी. जो युवा स्नातक उपाधि पूरी कर चुके हैं और पीजी या पोस्ट पीजी स्तर पर पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें भी मानवाधिकार विषय पढ़ना होगा. विश्वविद्यालयों को नए सत्र से मानवाधिकार की पढ़ाई के इंतजाम करने होंगे. इस विषय को पढ़ाने के लिए मानविकी और समाज-विज्ञान विषयों के शिक्षकों को जिम्मा दिया जाएगा.

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