राज्य में दिसंबर माह में विधानसभा चुनाव की संभावनाओं के बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा के प्रवक्ता संजय सेठ की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र को कोई औपचारिक नोटिस तो नहीं दिया लेकिन यह परोक्ष संकेत जरूर दे दिया कि चुनाव करवाकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल करवाई जानी चाहिए। गौरतलब है कि सेठ ने अपनी याचिका में सवाल उठाया था कि राज्य में किसी भी पार्टी की ओर से सरकार बनाने का दावा नहीं किए जाने के बावजूद वहां विधानसभा भंग नहीं की गई है। बल्कि लगातार राष्ट्रपति शासन के जरिए केंद्र राज्य की सत्ता अपने हाथ में रख रहा है। इस बीच हरियाणा में चुनाव समय से पहले करवाया जा रहा है लेकिन झारखंड में विधानसभा भंग करने तक को लेकर असमंजस बरकरार है। लिहाजा चुनाव आयोग भी कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। याचिका में सेठ ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी।
मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ ने इस पर सुनवाई की। लेकिन फिलहाल कोई आदेश नहीं दिया है। वाहनवती से तीन हफ्ते जवाब मांगा गया है। वह केंद्र का नजरिया कोर्ट के सामने रखेंगे। उसके बाद कोर्ट कोई निर्णय लेगा। इधर केंद्र की ओर से संकेत है कि दिसंबर तक चुनाव पूरा करवा लिया जाएगा। ऐसे में इसी माह के अंत तक विधानसभा भंग किए जाने को लेकर कोई कार्रवाई हो सकती है।