02 मई, 2010

डॉल्फिन का वजूद खतरे में

dolphinपटना। बिहार में डॉल्फिन की संख्या बहुत तेजी से घटती जा रही है। भारत में करीब दो हजार डॉल्फिन हैं जिनमें से करीब 1300 के बिहार में पाई जाती है।

डॉल्फिन एक स्तनधारी प्राणी है जो मीठे जल में पाई जाती है। यही वजह है कि बिहार में यह गंगा और उसकी सहायत नदियों में रहती है। लेकिन पिछले कुछ सालों से डॉल्फिन की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। बिहार में प्रत्येक साल 25 से 30 डॉल्फिन का शिकार हो रहा है। पटना में पिछले एक महीने के अंदर 5 डॉल्फिन मृत पाई गई हैं जिनका शिकार किया गया था।

उल्लेखनीय है कि इन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार ने वर्ष 1991 में बिहार में गंगा नदी के सुल्तानगंज से लेकर कहलगांव तक के करीब साठ किलोमीटर क्षेत्र को 'गैंगेटिक रिवर डॉल्फिन संरक्षित क्षेत्र' घोषित किया था। साथ ही डॉल्फिन को भारतीय वन्य जीव संरक्षण नीति के तहत सुरक्षा प्रदान की गई है।

क्यों किया जाता है डॉल्फिन का शिकार

भारत सरकार द्वारा डॉल्फिन एक्सन प्लॉन के अध्यक्ष प्रो. आरके सिंहा के अनुसार डॉल्फिन का शिकार मछुआरों द्वारा किया जाता है। डॉल्फिन के शरीर में एक विशेष प्रकार का तेल होता है जो उसके वजन का 30 प्रतिशत होता है जिसकी महक से मछलियां उनकी तरफ खीची चली आती है यही वजह है कि मछुआरे डॉल्फिन का शिकार कर उनका तेल निकालते हैं। और मछली मारने के लिए उसका जाल में इस्तेमाल करते हैं।

आंकड़ों के मुताबिक पटना में गंगा के गाय घाट से लेकर कलेक्ट्रियट घाट तक करीब एक वर्ष पूर्व तक 200 डॉल्फिन थीं लेकिन फरवरी 2010 में कराए गए सर्वे के अनुसार इसकी संख्या घटकर केवल 25-30 रह गई है।

किन-किन चिजों से खतरा है डॉल्फिन को

पटना साइंस कॉलेज के जीव विज्ञान के प्रोफेसर एवं भारत सरकार द्वारा डॉल्फिन अभ्यारण्य के प्रमुख संरक्षक प्रोफेसर आर के सिन्हा ने बताया कि गंगा की डॉल्फिन को खतरा सिर्फ मछुआरों से ही नहीं बल्कि प्रदूषण और नदी की धारा रोकने के लिए खड़े किए गए अवरोधों से भी है।

वह यह भी मानते हैं कि जीव संरक्षणवादियों द्वारा डॉल्फिनों के प्रति उतना ध्यान नहीं दिया जाता है जितना शेर व बाघ पर दिया जाता है। सिंहा के अनुसार बिहार सरकार डॉल्फिन की सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। डॉल्फिन का शिकार करने पर 7 साल की सजा और 25 हजार रुपए का जुर्माना है लेकिन अभी तक एक भी शिकारी को सजा नहीं मिली है।

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