मुंबई हमला : मुंबई हमले के एकमात्र जीवित आरोपी अजमल कसाब को कोर्ट ने सभी 12 मामलों में दोषी करार दिया है। जबकि अन्य दो आरोपी फहीम अंसारी और सबाउद्दीन को बरी कर दिया गया है। कसाब को कल सजा सुनाई जाएगी। मामले की सुनवाई कर रहे जज एमएल टाहिलियानी ने कसाब को अपने फैसले में दोषी करार दिया है। पूरी दुनिया को इस फैसले का बेसब्री से इंतजार था। आर्थर रोड जेल को किले में तब्दील कर दिया गया था। आईए जानते हैं क्या था मामला-
क्या थे मुख्य मामले
कसाब पर मुख्य रुप से देश के खिलाफ जंग छेड़ने का आरोप था। लोगों की हत्या करने का मामला दर्ज था। विस्फोटक सामग्री को देश में लाने का मामला था। करकरे, कामटे और सालस्कर की हत्या का दोषी था।
बैलेस्टिक रिपोर्ट रही अहम सबूत
अजमल कसाब पर लगे आरोपों को साबित करने में बैलेस्टिक रिपोर्ट एक अहम सबूत रही।
12.17 से 2.10 बजे तक चली सुनवाई
कोर्ट की सुनवाई ठीक 12 बजकर 17 मिनट पर शुर हुई और ठीक 2 बजकर 10 मिनट पर फैसला सुनाया गया। कुल 113 मिनट तक चली इस सुनवाई में करीब 1500 पन्नों का फैसला दिया गया है।
सुनवाई में शांत बैठा रहा कसाब
सुनवाई के दौरान कसाब पूरे समय शांत बैठा रहा। उसने पूरी सुनवाई के दौरान बिना कुछ बोले सिर्फ सुनते रहने की भूमिका अदा की।
फहीम और सबाउद्दीन इसलिए बरी
फहीम अंसारी और सबाउद्दीन पर आरोप था कि उन्होंने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को मुंबई के नक्शे मुहैया कराए थे। लेकिन कोर्ट में दलील दी गई कि जब इंटरनेट पर सारे नक्शे पहले से ही मौजूद हैं तो कोई आतंकवादी संगठन किसी व्यक्ति द्वारा हाथ से बनाए नक्शे का इस्तेमाल करना क्यों चाहेगा। इस दलील व अन्य बिंदुओं पर विचार करते हुए फहीम और सबाउद्दीन को बरी कर दिया गया है।
फैसले से गृहमंत्री संतुष्ट अजमल कसाब को दोषी ठहराए जाने पर गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि वे इस फैसले से संतुष्ट हैं।
क्या हुआ
मुंबई के तट पर कुल 10 आतंकी उतरे थे।10 आतंकियों में से एक कसाब भी था, बाकी 9 मारे गए थे।मुंबई में घुसे आतंकियों ने अपने आपको विद्यार्थी बताया गया था।सभी 20 से 25 वर्ष के थे।
कोर्ट की सुनवाई में क्या
कसाब पर कुल 12 मामले दर्ज किए गए थे।12850 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई थी।3192 पन्नो के सबूत पेश किए गए।सीसीटीवी कैमरे की फुटेज सबूत के तौर पर पेश की गई।आर्थर रोड जेल में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाया गया।मुंबई हमले में कुल 166 लोगों की मौत हुई थी। जिनमें से 25 लोग विदेशी थे।इस हमले में 304 लोग घायल हुए थे।23 मार्च 2010 को इस मामले पर बहस पूरी हुई।
वर्तमान स्थिति
फिलहाल आर्थर रोड जेल की सुरक्षा के लिए करीब 500 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।कसाब को पेट में संक्रमण हो गया है, इसके चलते उसका ऑपरेशन किया जा सकता है। लेकिन यह ऑपरेशन कोर्ट का फैसला आने के बाद हो सकेगा।इस विशेष अदालत के जज एमएल टाहिलियानी फैसला सुनाएंगे।
कौन हैं जज टाहिल्यानी
जज मदन टाहिल्यानी (56) के छोटे कद से काम करने की उनकी अथाह ऊर्जा का पता नहीं चलता। फैसला जल्दी सुनाने के लिए उन्होंने खुद को अपने काम में झोंक रखा है। काम में इतने मशगुल हैं कि पिछले एक माह से उन्होंने अपनी पत्नी से भी बात नहीं की है। जब से सुनवाई पूरी हुई है उनका दिन सुबह जल्दी शुरू होकर देर रात तीन बजे खत्म होता रहा है।
उन्हें जानने वालों को यह जानकर कोई अचरज नहीं होता, क्योंकि काम के लिए वे हमेशा से ऐसे ही समर्पित रहे हैं। वे 1993 में मुंबई में हुए बम विस्फोटों के मुकदमें की यादें मिटा देना चाहते थे। इस मुकदमे में फैसले की डेडलाइन कई बार बदलना पड़ी थी और अंतत: 15 साल बाद फैसला हो सका था। जज टाहिल्यानी ने ही दोनों पक्षों के वकीलों को तेजी से काम करने के लिए मजबूर किया।
कुछ साल पहले भ्रष्टाचार के एक मामले में उनका दो टूक रवैया साफ झलका था। स्पेशल सीबीआई जज के रूप में उन्होंने 1970 के घूसखोरी का एक मामला दो सुनवाई में ही पूरा कर दिया था। गवाही खोजने के लिए और वक्त की सीबीआई की गुहार उन्होंने ठुकरा दी थी। उन्हें लगा कि आरोप लगने के 30 साल बाद व्यक्ति पर मुकदमा चालने का कोई मतलब नहीं है।
इस मुकदमे 15 सदस्यीय टीम उनकी मदद कर रही है। इनमें से नौ का चुनाव खुद उन्होंने मुकदमा शुरू होते समय किया था। बाद में उन्हें छह सहायक और दिए गए। जज टाहिल्यानी सुबह 7 बजे उठ जाते हैं। फिर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय अखबारों पर निगाह डालते हैं। ठीक 11 बजे वे ऑफिस पहुंच जाते हैं। इन दिनों वे सुबह थोड़ी देर टहलने के लिए भी जाते रहे हैं ताकि कोर्ट जाने के पहले दिमाग में तस्वीर साफ हो जाए।
अपने 20 साल के न्यायिक कॅरिअर में वह ज्यादातर दक्षिण मुंबई के ही निवासी रहे हैं। उन्हें सुबह-शाम मरीन ड्राइव पर घूमने जाना पसंद है। उनकी याददाश्त बहुत तेज है। एक बार दस साल पहले जमानत पर फरार मुजरिम को उनके सामने लाया गया। उसे देखते ही जज टाहिल्यानी ने कहा, ‘तुम वही हो न जिसे मैंने जमानत पर छोड़ा था। तुम्हारे चाचा ने जमानत दी थी।’ मुजरिम ने अचरज से हामी भरी।
कसाब ने कबूला था गुनाह
कसाब ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था। जिरह के दौरान कसाब के अपना गुनाह कबूल करने की वीडियो फुटेज न्यायालय को भी दिखाई गई थी। वहीं कसाब अपने बयान से पलट भी गया था उसने कहा था कि पुलिस के दबाव में उसने अपना गुनाह कबूल किया है। कसाब ने कहा था कि वह भारत में फिल्मों में काम करने के लिए आया था।
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