लंदन. ब्रिटेन की संसद के लिए गुरुवार को मतदान होगा। 650 सदस्यीय संसद में इस बार किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिलने के आसार कम हैं।
देश के कुल 4.6 करोड़ वोटरों में से 40 फीसदी अभी भी इसी उधेड़बुन में हैं कि किसे वोट दें। ताजा सर्वेक्षणों में दावा किया गया है कि 38 फीसदी वोटर आखिरी समय में पाला बदल सकते हैं।
त्रिशंकु संसद के आसार देखते हुए सत्तारूढ़ लेबर पार्टी और विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी ने सरकार बनाने के लिए जोड़-तोड़ शुरू कर दी है।
उधर, आर्थिक विशेषज्ञों ने चेताया है कि अगर चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला तो देश की आर्थिक स्थिति और बदहाल हो सकती है। देश का वित्तीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 11.6 फीसदी को छू रहा है।
जीत पर आश्वस्त नहीं ब्राउन
चुनाव प्रचार के अंतिम दिन बुधवार को प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं दिखे। हालांकि उन्होंने कहा कि वे एक फाइटर हैं, इसलिए आखिरी दम तक हार नहीं मानेंगे। लेकिन, चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों के ताजा नतीजों से साफ है कि रिकार्ड 13 साल से सत्ता पर काबिज लेबर सरकार का जाना तय है।
सर्वेक्षणों में कंजर्वेटिव को 37 फीसदी वोटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने की संभावना जताई गई है। लेबर को 29 और लिबरल डेमोक्रेट्स को 26 फीसदी सीटें मिलने की बात कही गई है।
संकट में द्विदलीय व्यवस्था
ब्रिटेन में 1974 के बाद पहली बार त्रिशंकु संसद की स्थिति बनी है। 2005 के आम चुनाव में लेबर पार्टी ने बहुमत के लिए जरूरी 326 सीटों की तुलना में 349 सीटें जीती थीं। अबकी बार हालात दूसरे हैं। अगर लेबर या कंजर्वेटिव में से कोई भी बहुमत हासिल नहीं कर पाता है तो लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की भूमिका अहम होगी।
पार्टी के नेता निक क्लेग ने गठजोड़ के लिए दरवाजे खुले रखे हैं। उन्होंने कहा है कि वे उसी दल को समर्थन देंगे, जो चुनाव व संवैधानिक सुधारों का वादा करेगा। इसके अलावा आयरलैंड की डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी भी किंग मेकर बनकर कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार बनवा सकती है।