परमाणु क्षमता संपन्न अग्नि-दो प्रक्षेपास्त्र का सेना में उपयोग के लिए जाँच के तौर पर उड़ीसा तट के करीब स्थित व्हीलर्स द्वीप से आज सफल प्रक्षेपण किया गया। यह 2000 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकता है।
लॉन्च काम्प्लेक्स-चार से रेल मोबाइल प्रणाली से सुबह सवा नौ बजे परीक्षण किया गया। रक्षा सूत्रों ने कहा कि समन्वित परीक्षण रेंज से मिसाइल का परीक्षण किया गया। यह सतह से सतह तक मार करने वाली मिसाइल है। सूत्रों ने कहा कि विभिन्न मानकों पर मिशन के उद्देश्यों से संबंधित आँकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है।
अग्नि-दो इंटरमीडिएट रेंज बैलेस्टिक मिसाइल (आईआरबीएम) को पहले ही सेना में शामिल किया जा चुका है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की साजो सामान की मदद से सेना के सामरिक बल कमान ने आज का परीक्षण किया।
डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक ने कहा कि विभिन्न परिस्थितियों में उपयोग से परिचित कराने के लिए यह एक प्रशिक्षण अभ्यास था।
परीक्षण के दौरान प्रक्षेपास्त्र के पूरे मार्ग पर कई अत्याधुनिक रेडारों, टेलमेट्री प्रेक्षण, इलेक्ट्रो आप्टिक उपकरण और बंगाल की खाड़ी में निशाने के पास खड़े एक प्रेक्षण जहाज से नजर रखी गई।
बीस मीटर लंबा अग्नि दो चरणों वाला ठोस ईंधन संचालित बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। इसका प्रक्षेपण भार 17 टन है और दो हजार किलोमीटर की दूरी तक यह 1000 किलोग्राम का पेलोड अपने साथ ले जाने में सक्षम है।
सूत्रों ने कहा कि अग्नि-दो का विकास डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं और भारत डायनेमिक्स, हैदराबाद के साथ मिलकर एडवांस्ड सिस्टम प्रयोगशाला ने किया है।
उन्होंने कहा कि यह मिसाइल अग्नि श्रृंखला का एक हिस्सा है, जिसमें 700 किमी मारक क्षमता वाले अग्नि-एक और साढ़े तीन हजार किमी की मारक क्षमता वाले अग्नि-तीन शामिल हैं।
अग्नि-2 का पहला परीक्षण 11 अप्रैल 1999 में किया गया था, लेकिन इसके बाद कुछ परीक्षण मानकों पर खरे नहीं उतर पाए थे। उपयोग में लाने से पहले व्हीलर्स से किया गया 19 मई 2009 और 23 नवंबर 2009 का रात में किया गया परीक्षण सभी मानकों पर खरा नहीं उतर पाया था।