11 जनवरी, 2010

पानी की जगह जमाया जा रहा है दूध

राजेश कानोडिया
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मकर संक्रांति पर्व से बीस दिन पहले से दूध का किल्लत पैदा कर दूध को बर्फ फैक्टि्रयों में जमा कर सुरक्षित रखा गया है। सुरक्षित करने के लिये कुछ लोग कोल्ड स्टोर में आलू रखने की तर्ज पर ऐसा कर रहे हैं। जिसे अब धीरे धीरे निकाल कर दूध की बनी बर्फ को पिघला कर ऊंचे भावों पर बेचा जा रहा है। दूध की किल्लत कायम होने की स्थिति में इसका पूरा-पूरा फायदा लेने को ऐसे लोग आतुर दिख रहे हैं। दूध को बर्फ की फैक्ट्री में जमाने के लिए बर्फ फैक्ट्री मालिकों को भी मनमानी आमदनी का जरिया ठंडे सीजन में भी मिल जाता है। इसके लिए उनकी भी कई प्रकार की दरें इस वर्ष भी निर्धारित थी। मसलन एक जनवरी से पहले सुरक्षित रखे गये दूध का भाड़ा ज्यादा लिया गया तथा एक जनवरी के बाद रखे गये दूध का भाड़ा कुछ कम लिया गया। सभी कंटरों पर अलग-अलग निशान या फिर सीरीचल लगा कर बर्फ मील में अलग-अलग ग्राहकों का दूध रखा गया है। अब उसे वे लोग ले जाने लगे हैं। कोल्ड स्टोर रहित इस क्षेत्र में फैले बर्फ मील (फैक्ट्री)ही कोल्ड स्टोर बनकर इन दूध उत्पादकों एवं वितरकों को धंधे व रोजगार में सहायता प्रदान कर रहे है। जबकि दूध मालिकों के अनुसार इस दूध से किसी प्रकार की हानि नहीं होती है। सफाई में वे दुग्ध शीतकरण केन्द्र का उदाहरण देते है।

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