04 नवंबर, 2009

आदिवासियों का शोषण बर्दाश्त नहीं-मनमोहन

प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने बुधवार को स्वीकार किया कि आदिवासियों को आर्थिक व्यवस्था में स्थान देने में व्यवस्थागत असफलता रही है जिसके नतीजे अब खतरनाक मोड़ ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के शोषण को अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि आदिवासियों के हितों के प्रति संवेदना की कमी रही है और वनों पर उनके परंपरागत अधिकारों को मान्यता देने की बजाय उन पर सैकड़ों मुकद्दमें ठोंक कर उन्हें पेरशान किया गया है।

प्रधानमंत्री ने वन्य अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि आदिवासी जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं वह बहुत ही पेचीदा है और उसे सहानुभूति तथा पूरी संवेदना से समझने की जरूरत है।

आदिवासियों के वन्य उपयोग अधिकार मुद्दे पर उन्होंने कहा कि आदिवासियों को आर्थिक व्यवस्था में स्थान देने में व्यवस्थागत असफलता रही है। इसके नतीजे अब खतरनाक मोड़ ले रहे हैं। आदिवासियों के सामाजिक आर्थिक शोषण को और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।’

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