15 अक्तूबर, 2009

राष्ट्र ध्वज फहराना जमानत की शर्त?

किसी आरोपी को जमानत देने के बदले में क्या उसे राष्ट्रीय ध्वज फहराने और एक सप्ताह तक किसी अनाथालय में सेवा करने के लिए मजबूर किया जा सकता है?

उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी और न्यायामूर्ति दीपक वर्मा की पीठ ने तमिजरासन और वी. भारती द्वारा दायर याचिका के संबंध में तमिलनाडु सरकार से जवाब माँगा है।

तमिजरासन और वी. भारती पर राष्ट्रीय ध्वज को जलाने का प्रयास करने का आरोप है और मद्रास उच्च न्यायालय ने इनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय ध्वज को फहराने और किसी अनाथालय में एक सप्ताह तक सेवा करने की ‘असामान्य शर्त’ रखी है।

उच्च न्यायालय ने इस आधार पर यह शर्त रखी है कि नागरिकों में ‘मूलभूत दायित्वों’ की भावना पैदा करना जरूरी है क्योंकि देश में आंदोलनकारियों में राष्ट्रीय ध्वज जलाने तथा रेलगाड़ियों और अन्य सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।

अभियोजन के अनुसार 25 अप्रैल 2009 को सुबह सवा दस बजे के करीब दोनों आरोपी कोयंबटूर में जिला कलेक्टर के कार्यालय के सामने पहुँचे और श्रीलंका में सेना के हाथों तमिलों के कथित नरसंहार के विरोध में भारतीय और श्रीलंकाई ध्वज जलाने का प्रयास किया।

उच्च न्यायालय ने 18 मई को तमिजरासन और वी. भारती को इस शर्त के साथ जमानत दे दी कि वे अपने अपने घरों के बाहर राष्ट्रीय ध्वज फहराएँगे और किसी स्थानीय अनाथालय या वेलफेयर होम में एक सप्ताह तक सेवा करेंगे।

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