08 अक्तूबर, 2009

नौकाओं पर ओवरलोडिंग, हादसा कभी भी संभव

राजेश कनोडिया
भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल में खगडि़या जैसी नौका हादसा तो टल गई। पर प्रशासन नहीं चेता तो यह हादसा कभी भी हो सकता है। खगडि़या की तरह ही नवगछिया में दो-दो नदियों में नौकाओं का परिचालन होता है। जहां अधिक पैसा कमाने की लालच में या फिर यात्रियों के जबरन चढ़ने के कारण क्षमता से अधिक यात्रियों एवं समानों को लाद कर नावों का परिचालन किया जा रहा है। नवगछिया अनुमंडल के बहुत से ऐसे इलाके हैं जहां यातायात का एक मात्र साधन नाव ही है। जहां नाविकों के रहमोकरम पर यात्रा संभव है। कई घाटों की बंदोबस्ती भी होती है तथा कई जगहों पर बिना किसी ठेके या बंदोबस्ती के नावों का परिचालन हो रहा है। इसी क्रम में नवगछिया प्रखंड के मिल्की घाट (नगहर सकुचा गुद्दर घाट) की बंदोबस्ती नहीं हो पाने के कारण यहां नावों से यात्रा करने वाले यात्रियों से सरकारी वसूली करायी जा रही है। जिसमें एक हल्का कर्मचारी राजा हुसैन तथा दो-तीन चौकीदार प्रतिनियुक्त हैं। फिर भी यहां छोटी नावों पर ओवर लोडिंग का सिलसिला जारी है। शनिवार की शाम भी ऐसा ही वाक्या नजर आया जब मिल्की घाट पर लगी छोटी नाव पर काफी संख्या में महिलाएं, बच्चे, पुरूष तथा घास के गट्ठर एवं साइकिल लदे थे। नाव विजय घाट से आयी थी तथा इस किनारे लगने से पहले ही उतरने की होड़ मच गयी। घाट के इस पार तो सरकारी कर्मचारी एवं चौकीदार तैनात हैं मगर उस पार भगवान भरोसे। नौका पहुंचने के कुछ ही देर पहले तेज हवा के साथ बारिश भी हुई थी। मौसम पूरी तरह साफ भी नहीं हुआ था। अगर तेज हवा में महिलाओं से भरी नौका फंस जाती तो इसका गवाह कौन बनता? इस बावत घाट पर तैनात लोगों का कहना है कि छोटी नाव पर तो लोकल लोग जाते हैं जो पैसा भी नहीं देते।

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