चिदंबरम ने यह भी कहा कि अगले साल जनगणना का काम पूरा होने के बाद देश के एक अरब 10 करोड़ नागरिकों को बहुद्देशीय राष्ट्रीय पहचान पत्र [एमएसआईसी] जारी किए जाएंगे।
गृहमंत्री ने व्यापार से जुड़े सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर कहा कि हम अपराध एवं अपराधी खोज तंत्र एवं प्रणाली [सीसीटीएनएस] पर काम कर रहे हैं। इस प्रणाली के जरिए देश के सभी 16000 पुलिस थाने एक-दूसरे से जोड़े जाएंगे, ताकि कोई भी थाना दूसरे किसी भी थाने से संपर्क कर सके।
चिदंबरम ने कहा कि देश के सभी राज्यों ने नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की है और उन सभी ने सीसीटीएनएस को जल्द पूरा करने के लिए केंद्र सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। सीसीटीएनएस के तैयार होते ही आंतरिक सुरक्षा संबंधी विभिन्न चुनौतियों का सामना करने की भारत की क्षमता काफी बढ़ जाएगी।
गृहमंत्री ने प्रौद्योगिकी के जानकारों से अमेरिका की तर्ज पर भारत में भी नेशनल आतंकवाद रोधी केंद्र के गठन में सरकार की मदद करने का आग्रह किया।
गृहमंत्री ने कहा कि अगर अमेरिका में नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर बनाया जा सकता है तो भारत में क्यों नहीं.. इसलिए, मैं कामना करता हूं कि आपकी उद्यमशीलता एक ठोस प्रौद्योगिकी आधारित प्रणाली विकसित करने में हमारी मदद करेंगी। इससे सुरक्षा के साथ-साथ भारत की क्षमता में भी बढ़ोत्तरी होगी।
उन्होंने कहा कि बायोमेट्रिक पहचान पत्र प्रणाली की पायलट परियोजना के सफल समापन के बाद सरकार तटीय क्षेत्रों में बसे 3331 गांवों और अंडमान निकोबार द्वीपसमूह को इस योजना के दायरे में लाएगी।
गृहमंत्री ने कहा कि बायोमेट्रिक पहचान पत्र प्रणाली के लिए एक अरब 10 करोड़ लोगों का शुमार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस साल हम तटीय क्षेत्रों में स्थित 3331 गांवों और समूचे अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के एक करोड़ 20 लाख लोगों को शामिल कर रहे हैं। अगले साल, हम पूरे देश यानी एक अरब 10 करोड़ लोगों को शामिल करेंगे। उसके बाद मुल्क के हर नागरिक को अनूठा आइडेंटिटी नंबर दिया जाएगा।
चिदंबरम ने कहा कि इस नंबर का इस्तेमाल आयकर, उत्पाद शुल्क, राशन कार्ड, वृद्धावस्था पेंशन और राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना [नरेगा] में भी किया जा सकेगा।