बोरा सरस्वती सम्मान पाने वाले पहले असमिया साहित्यकार हैं, वहीं पहली दफा आत्मकथा को व्यास सम्मान दिया गया। राजधानी में एक समारोह में के के बिरला फाउंडेशन ने 2008 के सरस्वती सम्मान से असमिया साहित्यकार डा. लक्ष्मी नंदन बोरा को सम्मानित किया। यह सम्मान उनके 2002 में प्रकाशित उपन्यास [कायाकल्प] के लिए दिया गया। बोरा ने अब तक 56 पुस्तकें लिखी हैं, जिसमें उपन्यास, कहानी संग्रह, एकांकी, यात्रा वृत्तांत और जीवनी शामिल है। असम के कुजिदह, नैगांव में एक मार्च 1932 को जन्मे बोरा जोरहाट के असम कृषि विश्वविद्यालय में कृषि मौसम विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष हैं। उनकी कृति [पाताल भैरवी] को 1988 में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है।
सरस्वती सम्मान के रूप में उन्हें पांच लाख रुपये का चेक, प्रशस्ति पत्र और फाउंडेशन का प्रतीक चिह्न प्रदान किया गया। यह सम्मान पिछले दस साल की अवधि में प्रकाशित भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भारतीय भाषा की कृति को प्रदान किया जाता है। 1991 में स्थापित सरस्वती सम्मान पाने वाले बोरा पहले असमिया साहित्यकार हैं। पहला सरस्वती सम्मान डा. हरिवंश राय बच्चन को उनकी चार खंडों की आत्मकथा के लिए प्रदान किया गया था। वहीं, मन्नू भंडारी को उनकी 2007 में प्रकाशित आत्मकथा [एक कहानी यह भी] के लिए 2008 का व्यास सम्मान प्रदान किया गया।
व्यास सम्मान के रूप में मन्नू भंडारी को ढाई लाख रुपये का चेक, प्रशस्ति पत्र और फाउंडेशन का प्रतीक चिह्न प्रदान किया गया।
मन्नू भंडारी को [नई कहानी] के कहानीकारों में अपने यथार्थ बोध, जीवन बोध और रचनात्मक विशिष्टता के लिए अलग से रेखांकित किया जा सकता है। तीन अप्रैल 1931 में मध्यप्रदेश के भानपुरा में जन्मी मन्नू भंडारी ने चार उपन्यास, 12 कहानी संग्रह और दो नाटक लिखे हैं। इस सम्मान को लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के कर कमलों से वितरित किया गया ।