09 सितंबर, 2009

ग्रेडिंग से क्षमता का सही आकलन असंभव

सीबीएसई बोर्ड ने वर्ष 2011 से दसवीं बोर्ड की परीक्षा को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इसकी जगह ग्रेडिंग सिस्टम लागू किया जाएगा। इस मुद्दे पर दैनिक जागरण ने कुछ छात्रों से बात की। अधिकांश ने ग्रेडिंग सिस्टम लागू किये जाने को गलत बताया। लोयला हाई स्कूल में दसवीं के छात्र शुभम कुमार का मानना है कि ग्रेडिंग सिस्टम लागू होने से छात्रों की क्षमता का सही आकलन नहीं हो पायेगा। नई व्यवस्था में टापर होने की खुशी कम हो जायेगी। संत कैरेंस स्कूल के दसवीं के छात्र अभिषेक का मानना है कि टर्म के बीच में ग्रेडिंग सिस्टम लाना अन्यायपूर्ण है। जिन छात्रों ने अपनी क्लास में अब तक लीड बनाये हुए हैं, उनका मनोबल टूटेगा। कुछ यही विचार दसवीं के छात्र विकास भी रखते हैं। उनका कहना है कि ग्रेडिंग से छात्रों की क्षमता का सामान्यीकरण हो जायेगा। ऐसे में सर्वश्रेष्ठ का चयन मुश्किल हो जायेगा। मैट्रिक परीक्षा की तैयारी में जुटे छात्र रवि का मानना है कि प्रेशर में ही अच्छी पढ़ाई होती है। अगर परीक्षा का दबाव ही खत्म हो जायेगा तो छात्र पढ़ाई को गंभीरता से नहीं लेंगे। इन सभी के वितरीत दसवीं के छात्र अश्रि्वन मयंक ग्रेडिंग सिस्टम लागू होने से काफी खुश नजर आते हैं। उनका कहना है कि आज विद्यार्थियों पर परीक्षा का तनाव इस कदर रहता है कि अच्छे अंक लाने में असफल छात्र आत्महत्या कर लेते हैं। वे स्वीकार करते हैं कि इस खबर ने उन्हें काफी हद तक तनाव मुक्त कर दिया है।

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