विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) की प्रमुख जोसेट शीरॉन ने बताया, दुनिया में भूखे लोगों की तादाद लगातार बढना सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य (मिलेनियम डेवलपमेंट गोल) के लिए सबसे बडा खतरा है। वर्तमान में धरती पर हर सात में एक व्यक्ति भूखा रहता है। यह दावा भी नहीं किया जा सकता कि शाम तक वह खुद के लिए खाना जुटा पाएगा या नहीं। शीरॉन ने कहा कि जब दुनिया में एक अरब लोग भूखे सोते और जागते हों तो जरूरी हो जाता है कि ऎसे हालात से निपटने के लिए जल्द कदम उठाए जाएं।
भूख की समस्या से मुकाबले के लिए शीरान ने खाद्यान्न सीधे किसान से खरीदे जाने पर जोर दिया। उनका कहना है कि बाजार से दूर किसानों से खाद्यान्न खरीदना भूख के कुचक्र को तोडने का सबसे प्रभावशाली तरीका हो सकता है। डब्ल्यूएफपी ने भूख की समस्या से जूझ रहे देशों की मदद के लिए नियमों में काफी बदलाव किया है। यह विकासशील देशों के किसानों से खाद्य आपूर्ति का 80 फीसदी हिस्सा खरीदती है। शीरॉन ने बताया कि वैश्विक भुखमरी से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) और मिलेनिया विलेज प्रोजेक्ट (एमवीपी) आपसी भागीदारी पर सहमत हो गए हैं।
भूख की मार कहां ज्यादा
भूख से पीडित लोगों की कुल संख्या का 65 फीसदी एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में निवास करते हैं। विकसित देशों में भी डेढ करोड लोग भूखे सोने को मजबूर हैं। दुनिया में भूख से पीडित लोगों की संख्या अमरीका, कनाडा और यूरोपीय संघ की कुल आबादी से अधिक है।
नाकाफी है मदद
वर्ष 2009 के लिए संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) का लक्ष्य 10.8 करोड लोगों को भूख की समस्या से निजात दिलाना है, जो भूख से पीडित लोगों की आबादी का महज 10 फीसदी है।
इसके लिए डब्ल्यूएफपी को 6.7 अरब अमरीकी डॉलर की दरकार है, हालांकि उसे सिर्फ 3.7 अरब अमरीकी डॉलर मिलने की ही उम्मीद है। मतलब साफ है कि तमाम प्रयासों के बावजूद समस्या हल होने के बजाय बढ रही है।
एड्स से बडी महामारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के सामने मौजूद दस प्रमुख स्वास्थ्य संबंधी खतरों में भूख और कुपोषण सबसे ऊपर के स्थान पर हैं। यही नहीं एड्स, मलेरिया और टीबी से होने वाली कुल मौतों से ज्यादा लोग भूख के कारण हर वर्ष अपनी जान गंवा देते हैं। प्रतिदिन 14 हजार बच्चों की मौत भूख से जुडी बीमारियों से होती है।