कंप्यूटराइज्ड आनलाइन व्यवस्था होने से लर्निग बनाने वाले दलालों की छुट्टी हो जाएगी। इस व्यवस्था के तहत दलालों द्वारा हेराफेरी करने की संभावना नहीं रहेगी। क्योंकि, अभ्यर्थी को खुद जाकर परीक्षा देनी होगी। पास हुए तो 'बायोमैट्रिक हस्ताक्षर' करना जरूरी होगा, जो आपके डीएल पर दर्ज होगा। इसके साथ ही डिजिटल फोटोग्राफी होगी, जो आपकी पहचान मानी जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया से गुजरने के लिए आपको खुद चलकर विभाग में जाना होगा।
परीक्षा देने के लिए लेनी पड़ेगी आनलाइन अनुमति
लर्निग लाइसेंस बनवाने के लिए पहले आपको परिवहन विभाग के कंट्रोल रूम से आनलाइन अनुमति लेनी होगी। अनुमति मिलने के बाद आप संबंधित जोन (जहां उस वक्त भीड़ नहीं होगी) में जाकर पूरा फार्म जमा करना होगा। इसके बाद लर्निग टेस्ट के लिए बुलाया जाएगा। बिना अप्वाइनमेंट के किसी भी लाइसेंसिंग जोन में घुसने की अनुमति नहीं मिलेगी।
20 मिनट की परीक्षा और पूछे जाएंगे 20 सवाल
सांसद, मंत्री, नेता, नौकरशाह हों या फिर आम आदमी। आपको लर्निग लाइसेंस की कंप्यूटराइज्ड परीक्षा देनी ही पड़ेगी। मुख्य रूप में ट्रैफिक नियमों से जुड़े 20 सवालों का बैंक होगा जो 20 मिनट में उत्तर देने होंगे। 20 मिनट बाद कंप्यूटर अपने आप लॉक हो जाएगा। इसमें 12 नंबर मिला तो पास अन्यथा फेल। सवाल हिंदी और अंग्रेजी दोनों माध्यम से पूछे जाएंगे। इसमें यातायात के नियम, यातायात चिन्ह, दुर्घटना में क्या करना है, वाहन दस्तावेजों से संबंधित सवाल होंगे। पहली बार फेल हो गए तो दोबारा एक सप्ताह बाद परीक्षा देने के लिए बुलाया जाएगा। इसमें कोई चालाकी नहीं कर सकते, क्योंकि एक बार कंप्युटर में आपकी जन्मकुंडली कैद हो गई तो आनलाइन हो जाएगी। अगर पता बदलकर भी लाइसेंस बनवाना चाहेंगे तो तुरंत पकड़े जाएंगे। मजेदार बात यह होगी कि जो कंप्यूटर चलाना नहीं जानते, उनके लिए हेड फोन और नोमोरिक पैड (स्पेशल उत्तर पैड) होगा।
लाइसेंसिंग प्रणाली में सुधार होगा : आयुक्त
परिवहन आयुक्त आरके वर्मा के मुताबिक इस अत्याधुनिक प्रणाली से लाइसेंसिंग प्रक्रिया में बेहद सुधार होगा। मैनुअल सिस्टम से छुट्टी मिलेगी और घूसखोर कर्मचारियों पर पूरी तरह से अंकुश लगेगा। उनके मुताबिक यह पायलट प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार रोकने में सहायक साबित होगा। इस प्रोजेक्ट में 5 करोड़ रुपये लगेंगे। बकौल, वर्मा इस प्रणाली के शुरू हो जाने से विभाग का कोई अधिकारी भी अगर चाहे तो किसी की मदद नहीं कर सकता। क्योंकि, परीक्षा रूम में कैमरे लगे होंगे, जिसकी कमांड एमएलओ या फिर मुख्यालय के पास होगी।