21 मई, 2009

कुमारी श्यामली ने 78.60 प्रतिशत अंक लाया

कठिन परिश्रम के बूते अगर पढ़ने की तमन्ना हो उसके आगे संसाधनों की कमी बाधा नहीं बन सकती। कुमारी श्यामली उर्फ झुमा उस गांव की बेटी है जिस गांव में कुछ समय पहले तक बेटियों को पढ़ाने के प्रति ग्रामीणों का झुकाव नगण्य था। पर उसने मैट्रिक की परीक्षा में उच्च विद्यालय खरीक में सर्वाधिक 78.60 प्रतिशत अंक लाया हैं। जिसका रोल कोड ३१३५ रोल नम्बर ५७ है। अब वह इंजीनियर बनने का लक्ष्य हासिल करने आगे बढ़ेगी। उसकी मां उसकी सफलता पर काफी खुश है। देहाती छात्राओं की सफलता की यह कहानी सिर्फ कठेला गांव की झूमा तक ही सीमित नहीं है। बदलते परिवेश में पढ़ाई के बन रहे माहौल में गांवों की दर्जनों बेटियों ने मैट्रिक की परीक्षा में सफलता के परचम लहराये हैं। उच्च विद्यालय खरीक की कुमारी सोनी ने भी मिसाल कायम की है। उसने 78.2 अंकों के साथ परीक्षा उत्तीण की है।जिसका रोल कोड ३१३५ रोल नम्बर १६२ है। वह भी इंजीनियर बनना चाहती है। अंभो गांव कभी शिक्षा के क्षेत्र में काफी पिछड़ा था लेकिन इसी गांव के बेटे चंदन, रामाशंकर ने काफी बढि़या अंकों के साथ परीक्षा उत्तीण की है। तेलघी के देवदत्त ने को-एजुकेशन शिक्षा वाले तेलघी बालिका उच्च विद्यालय में सर्वाधिक अंक हासिल किया है। वह आगे चलकर आईआईटी की परीक्षा में बैठने की तमन्ना रखता है। नवगछिया अनुमंडल के विभिन्न स्कूलों के प्राचार्यो ने भी इस बार की मैट्रिक परीक्षा में छात्र-छात्राओं की सफलता को संतोषजनक बताया है।

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