29 जनवरी, 2010

कोसी किनारे प्रजनन को आते हैं गरुड़

राजेश कानोडिया
कहते हैं पक्षी राज गरुड़ का मनभावन क्षेत्र कोसी का किनारा होता है। तभी तो ये पक्षी प्रति वर्ष इस क्षेत्र में आकर विचरण करते हैं। यहां घोंसला बनाते हैं, बेखौफ उड़ान भरते हैं और प्रजनन कर नई पीढ़ी तैयार कर उड़ान भरते हुए विदेशों की सैर को चल देते हैं। धार्मिक ग्रंथों में चर्चित गरुड़ जिसका अन्य क्षेत्रों में दर्शन दुर्लभ है, वे नवगछिया क्षेत्र में हर वर्ष ठंड के मौसम में आते हैं तथा तीन से चार माह तक का समय गुजारते हैं। कोसी किनारे बसे कदवा दियारा के मध्य विद्यालय के समीप पीपल व सेमल का पेड़ इनका बसेरा होता है। जहां 15 से 20 की संख्या में इनका घोंसला नजर आता है। इस वर्ष भी कदवा गांव के आस-पास तथा नवगछिया से सटे बनिकपुर हाल्ट के पास इस पक्षी को देखा गया है। बड़ी - बड़ी टांग, भारी भरकम शरीर, लम्बी चोंच तथा लम्बी गर्दन, पंखों का हल्का स्लेटी रंग इस पक्षी की पहचान है। पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार गरुड़ अल्पवयस्क होते ही उड़ान भरने लगते हैं वयस्क होने पर उनके पंखों का रंग बदलने लगता है तथा गले के नीचे गहरे लाल रंग का घेघा जैसा बन जाता है। पंखों के रंग में भी सफेदी-सी आने लगती है। हिन्दु धर्म के अनुसार किसी भी मृत्यु को प्राप्त जीव को मोक्ष की प्राप्ति गरुड़ पुराण के बाद ही संभव है।

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