21 अप्रैल, 2009

गंगापार के दियारा में चुनाव आयोग की तिरछी नजर

चुनाव के दौरान शहरी इलाकों में जिस शांति के साथ मतदान होता है। दियारा इलाके में ठीक इससे इतर बाहुबल के सहारे खास प्रत्याशी के समर्थन में वोटिंग करायी जाती है। यह बाहुबल जाति बहुल कूबत और अपराधी गिरोहों की ताकत के बूते खास-खास इलाकों में साफ नजर आती है।
चुनाव के दौरान आमलोगों के मतों को प्रभावित करने वाले इसी बाहुबल को रोकने की चुनाव आयोग ने इसबार पूरी तरह तैयारी कर ली है। इसके लिये गंगापार इलाके में जातिगत प्रभुत्व और अपराधी गिरोहों के प्रभाव वाले इलाकों को चिह्नित कर ऐसे तत्वों की हेकड़ी गुम करने की तैयारी भीतर ही भीतर आरंभ कर दी गयी है। मतदान के दौरान ऐसे तत्वों को पूरी तरह पंगू बनाने की योजना है। चुनाव आयोग की सख्ती और जिला प्रशासन की चुस्ती से ऐसे तत्वों की प्रत्याशियों के साथ तुकबंदी की हवा निकल सकती है।
जातिगत प्रभुत्व और आपराधिक गिरोह अपनी ताकत का इस्तेमाल मतदान के दिन चहेते प्रत्याशियों को फायदा पहुंचाने के लिये करने की जुगत में हैं।
प्रशासन और पुलिस महकमे के अधिकारियों ने ऐसे लोगों को चिह्नित कर इनकी मुस्कें कसने की रणनीति बनायी है। ताकि कमजोर तबकों के लोगों को मतदान से वंचित नहीं किया जा सके। दियारा क्षेत्र में किसी प्रत्याशी के समर्थन में शांतिपूर्ण बूथ कब्जा या हिंसक वारदात को अंजाम नहीं दिया जा सके।

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