04 अक्तूबर, 2010

तालियों से पूरा माहौल गूंज उठा

बीजिंग ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा की अगुवाई में भारत का 600 से अधिक सदस्यों का दल रविवार को उद्घाटन समारोह के दौरान जैसे ही जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में अवतरित हुआ वैसे ही दर्शकों की तालियों से पूरा माहौल गूंज उठा। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दोनों ने जोरदार तालियों से खिलाड़ियों की हौसला आफजाई की।

मेजबान होने के कारण भारतीय दल सबसे अंतिम यानी 71वें नंबर पर स्टेडियम में पहुंचा। भारतीय दल के आते ही दर्शकों ने खड़े होकर 'इंडिया, इंडिया' और 'जीतेगा भई जीतेगा, इंडिया जीतेगा' के नारों से अपने खिलाड़ियों का स्वागत किया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी गुरशरण कौर तथा खेल मंत्री एमएस गिल ने खड़े होकर भारतीय खिलाड़ियों का अभिवादन किया। प्रिंस चा‌र्ल्स और उनकी पत्नी कैमिला पार्कर ने भी खड़े होकर तालियां बजाते हुए मेजबान देशों के खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाया।

भारत के ध्वजवाहक बिंद्रा सबसे आगे थे जिनके पीछे कई स्टार खिलाड़ियों की जमात थी। इसी के साथ बिंद्रा राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन समारोह के दौरान ऐसे चौथे भारतीय निशानेबाज बन गए जिन्होंने खेल की बहु-विधाओं वाले किसी बड़े आयोजन में तिरंगे के साथ भारतीय दल का नेतृत्व किया। बिंद्रा से पहले डॉ. कर्णी सिंह 1982 के एशियाई खेलों में, जसपाल राणा 1998 में और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ 2006 के राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय दल के ध्वजवाहक रहे थे। ये सभी भारत के दिग्गज निशानेबाज हैं। दिलचस्प है कि जब बिंद्रा ने 1998 में कुआलालंपुर में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लिया था तब उनकी उम्र महज 15 वर्ष थी।

इनमें विश्व कुश्ती चैंपियन सुशील कुमार और उनकी तरह बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले विजेंदर सिंह, टेनिस स्टार लिएंडर पेस, महेश भूपति, सोमदेव देवबर्मन और रोहन बोपन्ना शामिल थे। टेनिस सनसनी सानिया मिर्जा अपनी तैयारियों के कारण परेड में भाग नहीं ले पाई। भारत को सबसे अधिक पदकों की संभावना निशानेबाजी से है। इसलिए सबकी निगाह बिंद्रा के अलावा गगन नारंग, रंजन सोढ़ी, मानवजीत सिंह संधू और तेजस्विनी सावंत जैसे विश्व चैंपियन पर टिकी रही। बैडमिंटन की तारिका सायना नेहवाल, चेतन आनंद और ज्वाला गुटा, टेबल टेनिस में मेलबर्न 2006 के एकल चैंपियन अचंता शरत कमल तथा तीरंदाज जयंत तालुकदार और डोला बनर्जी पर भी कैमरों की चमक पड़ती रही।

भारत ने इस बार सबसे बड़ा दल खेलों में उतारा है। भारत के कुल 619 सदस्यीय दल इन राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेगा। इसके अलावा आस्ट्रेलिया का लगभग 500 सदस्यीय दल खेलों में शिरकत करेगा लेकिन परेड में उसके आधे से कुछ ही अधिक सदस्यों ने ही भाग लिया। आस्ट्रेलिया के बाद अंग्रेजी वर्णमाला के अनुसार विभिन्न देशों के खिलाड़ी स्टेडियम में पहुंचे। वहीं, पाकिस्तानी टीम के आते ही स्टेडियम में काफी उत्साह से तालियां बजाई गई। पाकिस्तान ने 75 सदस्यीय दल दिल्ली भेजा है। अफ्रीकी महाद्वीप के कई देशों के खिलाड़ी अपनी पारंपरिक वेशभूषा में आए। वे अपने साथ वुवुजेला लेकर आए थे जो विश्व कप फुटबाल के दौरान काफी चर्चा में था और अब इन खेलों में भी अपना जलवा दिखाने के लिए तैयार है। मार्च पास्ट के दौरान भारत की अनेकता में एकता को दर्शाती विविधतापूर्ण संस्कृति की झलक भी बखूबी पेश की गई और हर दल के आगे चल रही युवती ने विभिन्न संस्कृतियों को दर्शाते परिधान धारण कर रखे थे। किसी दल के आगे चल रही युवती साड़ी में थी तो किसी ने घाघरा पहन रखा था। पंजाबी सलवार कुर्ते से लेकर दक्षिण, पश्चिम और पूर्वी भारत के पहनावे में आई इन युवतियों के पीछे विभिन्न देशों के खिलाड़ियों ने अपने कदम बढ़ाए। यह पहला मौका था जब खिलाड़ियों के लिए स्टेडियम में ही बैठने की व्यवस्था की गई थी।

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