06 अगस्त, 2010

देश में 10 लाख शिक्षकों की कमी

भारत सरकार ने शुक्रवार को संसद में माना कि देश में छह से 14 वर्ष की उम्र के सभी बच्चों को अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए 10.2 लाख शिक्षकों की कमी है।
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के लागू होने के बाद प्रारंभिक शिक्षा में 5.08 लाख शिक्षकों और 2.44 लाख मुख्य अध्यापकों की अतिरिक्त आवश्यकता होने का अनुमान लगाया गया है।
उन्होंने ए इलावरासन के पूरक प्रश्न के जवाब में बताया कि इसके अतिरिक्त, अनुमान है कि राज्यों में शिक्षकों के 5.23 लाख पद रिक्त हैं जिन पर राज्य सरकारों को ही भर्ती करनी है। राज्यों को रिक्त पदों पर यथाशीघ्र शिक्षकों की भर्ती करने के निर्देश दिए गए हैं।
सिब्बल ने मनोनीत कपिला वात्स्यायन के पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि हर राज्य की अपनी भर्ती और वेतन नीति होती है, जिसमें केंद्र कोई हस्तक्षेप नहीं करता।
उन्होंने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वर्ष 2009. 10 तक शिक्षकों के 12.82 लाख पद स्वीकृत किए गए। इनमें से 10.30 लाख शिक्षकों की नियुक्ति की जा चुकी है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2010-11 में सर्व शिक्षा अभियान के तहत शिक्षकों के 1.37 लाख अतिरिक्त पद स्वीकृत किए गए।
सिब्बल ने शांताराम नाइक के पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि शिक्षकों की ट्रेनिंग के लिए एनसीटीई ने मानक तय किए हैं। राज्यों को चाहिए कि वे शिक्षकों अधिक सुविधाएँ दें ताकि इस पेशे के लिए उनके मन में आकर्षण पैदा हो सके। सर्व शिक्षा अभियान के तहत शिक्षकों को 20 दिन का प्रशिक्षण दिया जाता है।
भरत कुमार राउत के पूरक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि अगर राज्य शिक्षा को अपने एजेंडे की सर्वोच्च प्राथमिकता बनाते हैं तो हमें बेहद खुशी होगी। हम चाहते हैं कि राज्य शिक्षा के क्षेत्र में अधिक धन खर्च करें ताकि शिक्षा का अधिक से अधिक प्रसार हो सके।

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