26 जून, 2010

बिना सेटिंग, वेटिंग ही वेटिंग

राजेश कानोडिया
बिना सेटिंग मिलती है सिर्फ वेटिंग ही वेटिंग। यह बात नवगछिया रेल आरक्षण काउन्टर पर पूर्णत: लागू है। जहां इस धंधे में काउन्टर क्लर्क से लेकर कई बाहरी लोग धड़ल्ले से लगे हैं। जिनकी पहुंच काउन्टर के अंदर तक ही सीमित नहीं है बल्कि ये लोग आरक्षण कम्प्यूटर संचालित कर स्वयं टिकट बनाते हैं। नगद भी लेनदेन करते हैं। सारा कार्य बखूबी रेल कर्मचारी की तरह करते हैं। साथ ही अपनी पहुंच भी रेल के उच्चाधिकारी तक बताते हैं। आरक्षण टिकट काउन्टर पर सेटिंग का पूरा पुख्ता इंतजाम रहता है। रात दो-तीन बजे से तत्काल टिकट लेने लाइन में लगे लोग आठ बजने का इंतजार करते हैं। आठ बजते ही पहले से सेटिंग वाले ग्राहकों के टिकट अंदर से दनादन बनने शुरू हो जाते हैं। बाहर लाइन में खड़े लोगों को भीतर के कार्यो की पारदर्शिता बंद करने के लिए पूरे शीशे को ढक दिया जाता है। इसके अतिरिक्त काउन्टर पर लगा सिस्टम डिसपले यूनिट भी बंद ही रखा जाता है। सेटिंग गेटिंग के तहत टिकट बनते-बनते तत्काल की स्थिति फूल होकर वेटिंग में चली आती है। चार-पांच घंटों से लाइन में खड़े रहने के बावजूद यात्रियों को निराश होकर लौटना मजबूरी हो रही है। जबकि नवगछिया में दो आरक्षण काउन्टर बनाये गये हैं, लेकिन खुलता एक ही है। दूसरे के लिए कर्मचारी की कमी का रोना रोया जाता है। लगातार चार-पांच दिनों से घंटों लाइन में रहकर आरक्षण काउन्टर से लौट रहे शंकर कुमार ने बताया कि 22 जून को तो लिंक ही फेल बता दिया गया था। 23 जून को भी कई लोगों को टिकट नहीं मिलने पर हंगामा हुआ था। 24 जून को भी काउन्टर के भीतर और बाहर अतिरिक्त लोग लगे थे। जिनकी सेटिंग की बातें चल रही थी। वहीं चौसा थाना क्षेत्र के बधरा निवासी ज्योतिष यादव ने आम्रपाली की एक जुलाई की टिकट का फार्म भरा था। परंतु टिकट मिली 5 जुलाई की। जांच कर विरोध किया तो इसे कैंसिल का फार्म भरवा कर कैंसिल कराना पड़ा। कुर्सैला सलेमपुर के आशुतोष कुमार पटना में डाक्टरेट कर रहे हैं, भी आरक्षण काउन्टर से खासे परेशान नजर आ रहे थे। जिन्होंने स्टेशन अधीक्षक से इसकी शिकायत भी की है। नवगछिया में पदस्थापित मुख्य वाणिज्य निरीक्षक कई दिनों से अवकाश पर बताये गये। मामले की गंभीरता को देख रेल थाना के दो पदाधिकारियों ने गुरुवार को जब आरक्षण काउन्टर पर दबिश दी तो भीतर मौजूद एक संदेहास्पद व्यक्ति बाहर निकलने में सफल रहा। पूछने पर कार्यरत आरक्षण क्लर्क ने बताया कि उसे कार्य में मदद हेतु बुलाया था। पुलिस को देख कई अवैध कारोबारी तुरंत रफुचक्कर हो गये।

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