05 मार्च, 2010

राहुल ने संभाली 'ऑपरेशन बिहार' की कमान

भुखमरी से मौतें, गाँवों में खुले शराब ठेके और केंद्रीय योजनाओं के धन के उपयोग के मुद्दों को नीतीश कुमार की सियासी फाँस बनाना, जदयू-भाजपा गठबंधन में नीतीश के खिलाफ असंतोष को हवा और इस गठबंधन के सवर्ण-मुस्लिम जनाधार को तोड़ना कांग्रेस का "ऑपरेशन बिहार" है। इसकी कमान खुद राहुल गाँधी संभाल रहे हैं।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि राहुल की प्राथमिकता में अब बिहार सबसे ऊपर है। उप्र के फाइनल के लिए कांग्रेस बिहार को सेमीफाइनल मान रही है। उसका लक्ष्य बिहार में कम से कम सौ सीटें जीतना है। इसके लिए दिन-रात जुटे राहुल बिहार के कांग्रेसी नेताओं से जरूरी आँकड़े और तथ्य जुटा रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक इसी क्रम में बिहार प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मुक्तिनाथ उपाध्याय ने राहुल को एक विस्तृत नोट भेजा है। उपाध्याय के अनुसार बिहार में खाद्य सुरक्षा की स्थिति की जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई थी, उसकी रिपोर्ट के मुताबिक पिछले चार साल में राज्य में 150 से ज्यादा लोगों की मौत भूख से हो चुकी है। कांग्रेस के पास यह कालाहांडी जैसा मुद्दा है।

गाँव-गाँव खुले देसी शराब के ठेकों का मुद्दा उठाकर कांग्रेस नीतीश सरकार पर शराब घोटाले का आरोप वैसे ही लगाएगी, जैसे लालू यादव पर चारा घोटाले का आरोप लगा था।

नीतीश से बगावत कर चुके पूर्व मंत्री जमशेद अशरफ कांग्रेस की मदद कर रहे हैं। नीतीश के खास रहे सांसद राजीव रंजनसिंह उर्फ ललन से भी कांग्रेस का संपर्क है। मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, सर्वशिक्षा अभियान जैसी योजनाओं का पैसा राज्य की योजनाओं में लगाने के तथ्य भी जुटाए जा रहे हैं। उपाध्याय के मुताबिक पिछले 4 साल में औद्योगिक व कृषि उत्पादन गिरा है।

एक मेगावाट बिजली का भी अतिरिक्त उत्पादन नहीं हुआ। विदेशी निवेश की स्थिति शून्य है। यह बिहार के का सच है, जिसे कांग्रेस बाहर लाएगी।

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