26 फ़रवरी, 2010

आयकर में राहत, बाकी आफत

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने आम बजट में व्यक्तिगत आयकर सीमा बढ़ाकर जहाँ नौकरी पेशा तबके से लेकर मध्य आयवर्ग को बड़ी राहत दी, वहीं उन्होंने उत्पाद एवं सीमा शुल्क जैसे अप्रत्यक्ष करों को बढ़ाकर महँगाई से त्रस्त आम जनता की चिंता और बढ़ा दी।

संसद में आज पेश वर्ष 2010-11 के आम बजट में वित्त मंत्री ने आयकर की दरों में तो कोई बदलाव नहीं किया, पर आयकर स्लैब में फेरबदल कर एक लाख 60 हजार रुपए से पाँच लाख रुपए तक की सालाना आय को 10 प्रतिशत की न्यूनतम कर श्रेणी में कर दिया। उन्होंने पाँच लाख से आठ लाख रुपए तक की आय पर 20 प्रतिशत और आठ लाख रुपए से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाकर मध्यवर्ग का दिल लुभाया।

मुखर्जी ने कहा कि इस बदलाव से 60 प्रतिशत करदाताओं को लाभ होगा और सरकार को 26 हजार करोड़ रुपए का त्याग करना पड़ेगा।

वित्तमंत्री ने लगे हाथ गैरपेट्रोलियम पदार्थों पर उत्पाद शुल्क में दो प्रतिशत वृद्धि कर इसे आठ से बढ़ाकर दस प्रतिशत कर दिया। इससे विनिर्मित उत्पादों के दाम और बढ़ेंगे। बजट में कच्चे तेल, पेट्रोलियम पदार्थों तथा कुछ अन्य प्रकार की वस्तुओं पर आयात शुल्क में वृद्धि की गई है।

मुखर्जी ने सेवाकर की दर को दस प्रतिशत पर बनाए रखा, पर कुछ नई सेवाओं को इसके दायरे में लाने का प्रस्ताव किया। अप्रत्यक्ष कर में किए गए इन बदलावों से जनता पर 46 हजार करोड़ से अधिक का बोझ बढ़ जाएगा।

बजट के कारण जहाँ महँगी मोटर गाड़ियाँ, सीमेंट, सिगरेट, कारखानों में बनने वाले अन्य सामान और कुछ सेवाएँ महँगी होंगी, वहीं शुल्क कम होने से खिलौने, चिकित्सा उपकरण, मोबाइल फोन, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की मशीनें और सड़क निर्माण के यंत्र सस्ते होंगे।

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