17 जनवरी, 2010

माकपा नेता ज्योति बसु का निधन

छह दशक तक राजनीति के फलक पर कद्दावर शख्सियत के रूप में छाये रहे दिग्गज मार्क्‍सवादी नेता ज्योति बसु का लंबी बीमारी के बाद रविवार सुबह निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार अपराह्न किया जाएगा।

लगातार 23 साल तक मुख्यमंत्री बने रहकर इतिहास रचने वाले 95 वर्षीय बसु पिछले 17 दिन से निमोनिया से पीड़ित थे। उनका यहाँ एक अस्पताल में रविवार सुबह 11.47 बजे निधन हो गया।

वाम मोर्चे के अध्यक्ष विमान बोस पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के साथ तुरंत अस्पताल पहुँचे और बाहर आकर रुँधे गले और नम आँखों से बोस ने कहा कि मेरे पास एक बुरी खबर है। ज्योति बसु अब हमारे बीच नहीं हैं।

बसु के निजी चिकित्सक अजीत कुमार मैती ने कहा कि वयोवृद्ध नेता ने एएमआरआई अस्पताल में सुबह 11 बजकर 47 मिनट पर अंतिम साँस ली। वे गत छह जनवरी से वेंटीलेटर पर थे। बसु का शव दो बजे शवगृह ‘पीस हेवन’ ले जाया गया। बसु के सम्मान में सोमवार को सरकार ने अवकाश घोषित कर दिया है।

पिछले दो साल से बीमार चल रहे बसु के निधन की खबर फैलते ही बड़ी संख्या में लोग अस्पताल की ओर उमड़ने लगे। पुलिस ने एहतियात के तौर पर ट्रैफिक को नियंत्रण में रखने के लिए साल्ट लेक के अस्पताल की ओर जाने वाले सभी रास्ते बंद कर दिए।

निमोनिया से पीड़ित होने के बाद गत एक जनवरी से अस्पताल में भर्ती बसु की हालत कल से ही काफी गंभीर हो गई थी। उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। उन्हें कल देर रात से अस्थायी तौर पर पेसमेकर पर रखा गया था। बसु को ‘स्लो लो इफिशिएंसी डेली डायलिसिस’ पर रखा गया था, लेकिन कल साढ़े सात घंटे से अधिक समय तक उनके इस उपचार को सहन नहीं कर पाने के बाद इसे रोक दिया गया।

बसु के अंतिम समय में उनके पुत्र चंदन, उनकी पुत्रवधू राखी, पोतियाँ पायल, डोयल और कोयल अस्पताल में मौजूद थीं। वाम मोर्चा सरकार में मंत्री प्रतिम चटर्जी, किरणमय नंदा, सुदर्शन रायचौधरी और रणजीत कुंदु भी एएमआरआई अस्पताल में मौजूद थे।

केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम, लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी, माकपा महासचिव प्रकाश करात, माकपा नेता वृंदा करात, फॉरवर्ड ब्लॉक के नेता अशोक घोष और वाम दलों के कई अन्य नेता अस्पताल पहुँचे।

कोलकाता में आठ जुलाई 1914 को जन्मे बसु ने सेंट जेवियर्स स्कूल से इंटर पास करने के बाद 1932 में प्रेसीडेंसी कॉलेज से अंग्रेजी में ऑनर्स किया। वर्ष 1935 में वे विधि की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड गए। वहीं वह कम्युनिस्ट विचारधारा के प्रभाव में आए। उनकी पत्नी कमल बसु का चार वर्ष पूर्व निधन हो चुका है।

बसु ने अपने नेत्र दान कर रखे थे। उनके निधन के बाद चिकित्सकों ने उनके नेत्र सुरक्षित कर दिए। अपरान्ह तीन बजे के बाद बसु का पार्थिव शरीर पार्टी के लाल झंडे से सजे एक वाहन में रखकर ज्योति बसु अमर रहे, ज्योति बसु लाल सलाम के नारों के बीच शवगृह पीस हेवन की ओर रवाना हुआ।

पूरे रास्ते में लोग अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन के लिए सडक के दोनों किनारे खड़े हुए थे। उनका पार्थिव शरीर बसु के पुत्र चंदन के साल्ट लेक स्थित घर और उसके बाद बसु के आवास इंदिरा भवन में कुछ देर के लिए ले जाया गया। इसके बाद उसे पीस हेवन ले जाया गया।

माकपा के राज्य सचिव विमान बोस ने बताया कि बसु का पार्थिव शरीर मंगलवार सुबह साढ़े नौ बजे पीस हेवन से राज्य सचिवालय राइटर्स बिल्डिंग लाया जाएगा। इसके बाद सुबह साढ़े दस बजे से अपराह्न ढाई बजे तक उनके पार्थिव शरीर को जनता के दर्शनार्थ और दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए राज्य विधानसभा में रखा जाएगा। इसके बाद अपराह्न तीन बजे एक घंटे के लिए कोलकाताClick here to see more news from this city स्थित पार्टी के कार्यालय में रखा जाएगा।

उनके अंतिम संस्कार में केन्द्र और कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी करेंगे। कम्युनिस्ट पार्टी के नेता एबी वर्धन और राष्ट्रीय सचिव डी. राजा भी अंतिम संस्कार में मौजूद रहेंगे।

कद्दावर नेता खोया : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने कहा कि देश ने ऐसा कद्दावर नेता खो दिया जो जीवन भर सांप्रदायिकता, जातिवाद और कट्टरपंथ से लड़ता रहा।

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