कोहरे के दौरान ट्रेनों के संचलन में खास सावधानियां बरतने के निर्देश बहुत पुराने हैं लेकिन कभी-कभी इनकी अवहेलना हो जाती है। इसकी पुष्टि पिछले दिनों हुई कुछ दुर्घटनाओं में हुई है। पुनरावृत्ति न हो इसलिए बोर्ड ने कुछ नये निर्देशों के साथ इसे सख्ती से लागू करने को कहा है। वर्ष की शुरुआत में दो जनवरी को पनकी में गोरखधाम एक्सप्रेस की प्रयागराज एक्सप्रेस से और इटावा में लिच्छवी एक्सप्रेस की मगध एक्सप्रेस से पीछे से हुई टक्कर ने रेलवे बोर्ड को इस दिशा में सोचने को मजबूर कर दिया है। इन दुर्घटनाओं में कोहरे के दौरान सावधानियों में चूक की बात सामने आई है। इसके अलावा 16 जनवरी को टूण्डला के पास कालिंदी एवं श्रमशक्ति एक्सप्रेस के बीच हुई दुर्घटना का भी प्रथम दृष्टया कारण कोहरा का होना ही सामने आया है।
बोर्ड ने कहा जब भी दृश्यता साफ न रहे तो ट्रेन में दिन में भी टेल लैम्प अवश्य लगाया जाय। इसके अलावा प्रत्येक स्टेशन पर पटाखा लगाने के लिए एक समय में दो कर्मचारी [गैंगमैन] रहेंगे। इनकी ड्यूटी 3-3 घंटे की होगी। रेलवे प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में एक कर्मचारी को 12-14 घंटे तक कार्य करना पड़ता है। कभी-कभी तो रात में कार्य करने के बाद इनको दिन में भी ड्यूटी देनी पड़ती है। इनकी ड्यूटी स्टेशन के सबसे बाहरी सिगनल से 275 मीटर पर होती है। वहां कोई शेड अथवा स्थान नहीं होता है जहां वह बैठ सके। कुहासा की ठंड हो अथवा बरसात का अंधेरा, इनको लगातार खड़े रहकर कार्य करना पड़ता है।
अधिकारियों के सामने कर्मचारियों की नयी नियुक्ति न होना एक समस्या है। रेलवे के तकनीकी जानकारों का कहना है कि संरक्षा के लिहाज से यह समस्या निश्चित ही गंभीर बनी हुई और बोर्ड को इस बारे में भी सोचना होगा।