14 जनवरी, 2010

600 स्टेशनों पर खुलेंगे अस्पताल


देश में एम्स जैसे एक दर्जन मेडिकल संस्थान बनाने की सरकारी घोषणा तो आपको याद होगी। लेकिन इनमें से कितने बने, बता सकते हैं? शायद नहीं, क्योंकि ज्यादातर जगहों पर काम किसी न किसी वजह से अटका हुआ है। इसके बावजूद सरकार ने हिम्मत नहीं हारी है। इस बार सबको तंदुरुस्त बनाने का सपना रेल और स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिखाया है। दोनों मिलकर देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर 600 चिकित्सा केंद्र खोलेंगे। जमीन रेलवे की रहेगी जिस पर बुनियादी सुविधाएं खड़ी करने का काम स्वास्थ्य मंत्रालय करेगा। चूंकि इसमें राज्य सरकारों के अलावा प्राइवेट सेक्टर का सहयोग भी लिया जाएगा, लिहाजा आप समझ सकते हैं कि इस ख्वाब को हकीकत बनने में कितनी देर लगेगी।

फिर भी इस योजना को लेकर रेलमंत्री ममता बनर्जी और स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद दोनों बहुत खुश हैं। दोनों ने बुधवार को मीडिया के सामने इस पहल को ऐतिहासिक बताया और एक-दूसरे के कसीदे काढ़े। पहले गुलाम नबी की बारी थी। उन्होंने कहा कि ममता पहली रेलमंत्री हैं जिन्होंने अस्पतालों के लिए रेलवे की जमीन देने का फैसला किया है। इससे स्वास्थ मंत्रालय को बड़ी सहूलियत होगी जो कि जमीन की वजह से अस्पताल नहीं खोल पा रहा था। अभी दिल्ली के एम्स में देश भर से लोग आते हैं, जबकि राज्यों के मेडिकल कालेजों में गांव वालों की भीड़ लगी रहती है। रेलवे स्टेशनों पर अस्पताल खुलने से लोगों को अपने नजदीक ही उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं नसीब होंगी। हालांकि वह यह नहीं बता पाए कि इस योजना पर कितना धन खर्च होगा और इसका टाइम शिड्यूल क्या है। बोले, अभी तो शुरुआत है। कम से कम तीन-चार साल तो लगेंगे ही। योजना का खाका तैयार करने के लिए स्वास्थ्य राज्यमंत्री दिनेश त्रिवेदी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाएगी जिसमें दोनों मंत्रालयों के अफसर होंगे। यह एक हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देगी। उसके बाद पंद्रह दिन में दोनों मंत्रालय एमओयू पर दस्तखत करेंगे।

इसके बाद ममता की बारी थी। उन्होंने कहा कि देश भर में रेलवे के तकरीबन 600 जक्शन हैं। इन जगहों पर रेलवे की जमीन पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, छोटे अस्पताल, बड़े मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल, मेडिकल कालेज या नर्सिग स्कूल खोले जाएंगे। कहां किस श्रेणी की सुविधा स्थापित की जानी है इसका फैसला कमेटी करेगी। शुरू में 17 मेडिकल कालेज और सात नर्सिग होम खोलने की योजना है। उन्होंने एम्स और वेल्लूर मेडिकल कालेज की तारीफ के पुल बांधे और कहा कि ऐसे मेडिकल कालेजों की देश भर में जरूरत है।

रेलवे की जमीन पर अस्पताल खोलने का आइडिया मूलत: सैम पित्रोदा का है जिन्हें ममता ने रेलवे एक्सपर्ट कमेटी का चेयरमैन बनाया हुआ है। वैसे उनका असली काम जमीन के बाबत सोचना नहीं बल्कि, रेलवे में आईटी का उपयोग बढ़ाना तथा आप्टिक फाइबर केबल नेटवर्क से कमाई के रास्ते सुझाना है। इस मौके पर मीडिया ने महंगाई को लेकर कृषि व खाद्यमंत्री शरद पवार के रवैये पर ममता का मुंह खुलवाने की बहुत कोशिश की लेकिन उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि महंगाई सबकी चिंता का विषय है और खुद प्रधानमंत्री ने आज इस पर बड़े फैसले किए हैं।

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