ग्रामीण इलाकों में चल रहे विभिन्न तरह के विकास कार्यक्रमों को आम लोगों के बीच पहुँचाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने व्यापक स्तर पर गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को जिम्मेदारी सौंपने की योजना बनाई है। शुरू में विभिन्न योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए एनजीओ को छह महीने का काम दिया जा रहा है।
पिछले दिनों केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री सीपी जोशी ने एनजीओ और सिविल सोसायटी समूहों से महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (नरेगा), प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएस), इंदिरा आवास योजना (ईजीएसवाई) जैसे फ्लैगशिप कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की थी। ग्रामीण विकास मंत्री की अपील के बाद 2561 एनजीओ ने मंत्रालय के पास अपने प्रस्ताव भेजे हैं।
ग्रामीण विकास मंत्रालय का मानना है कि सरकार की पहुँच उन सभी लोगों तक नहीं हो पाती है जिनके लिए अनेक योजनाएँ चलाई जा रही हैं। मंत्रालय ने एनजीओ को गाँव के आम लोगों के बीच जाकर जागरूक करने की जवाबदेही देने की योजना बनाई गई है। मंत्रालय के अनुसार शुरुआती दिनों में एनजीओ को यह काम छह महीने के लिए दिया जा रहा है और अगर इसमें अपेक्षित सफलता मिलती है तो इसे फिर से आगे बढ़ाया जा सकता है।
मंत्रालय के अनुसार एनजीओ को काम सौंपे जाने और उस पर नजर रखने के लिए कपार्ट को नोडल एजेंसी की जवाबदेही सौंपी गई है। तात्कालिक रूप से सिर्फ 14 राज्यों में एनजीओ को यह काम सौंपा जा रहा है। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि एनजीओ को शामिल करने की इस योजना में हर एनजीओ को 3 लाख 86 हजार 512 रुपए दिए जाएँगे।
एक एनजीओ को अधिकतम 10 प्रखंड की जिम्मेदारी सौंपे जाने की योजना है, जो हर महीने पाँच पंचायतों में लोगों के दरवाजे पर जाकर सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तारपूर्वक आम लोगों को जानकारी देगा। इसके अलावा इन गैर सरकारी संगठनों से जिले के बदले प्रखंड में रहकर काम करने के लिए कहा जाएगा। एनजीओ को दी जाने वाली इस राशि का भुगतान नरेगा के प्रशासनिक खर्च के लिए आवंटित छह फीसद की राशि से किया जाएगा।
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अगले छह महीने के लिए सरकार ने 15 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की है।
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