उन्होंने आगे कहा कि सरकार विमानों को प्राप्त करने के लिए पूरा समर्थन दे रही है चाहे यह वित्त या अन्य मामलों के संदर्भ में हो। उन्होंने कहा कि हरेक काम में समय लगता है, इसलिए जिस भी अनुबंध पर दस्तखत किया गया है या दस्तखत किया जाएगा उसके तीन वर्ष बाद हमें विमान मिलेगा। नाइक ने कहा कि लड़ाकू विमानों की जरूरत देश की सुरक्षा के लिए है। शुरुआत में सीमा की सुरक्षा और फिर पूरे देश की रक्षा के लिए।
हाल में हुए चीनी घुसपैठ की रिपोर्ट को कमतर आंकने के एक सवाल पर नाइक ने कहा कि जहां तक वायुसेना का सवाल है कहीं भी [भारतीय सीमा के पास] घुसपैठ नहीं है। नाइक ने कहा कि हम चुनौतियों को कमतर नहीं आंक रहे हैं, लेकिन इससे निपटने के लिए रणनीति है। इससे या तो कड़ाई से निपटा जा सकता है या शांत रहकर अपनी क्षमता में बढ़ोतरी जारी रखी जा सकती है।
भारत-चीन सीमा पर सेना की तैनाती या व्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा कि हमने जमीन के साथ ही आकाश में भी अपनी क्षमता बढ़ा ली है। बहरहाल उन्होंने विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया। विभिन्न सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था के बारे में एयर चीफ मार्शल ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में हम कैमरा, मोशन डिटेक्टर्स और वायु निगरानी जैसी उन्नत तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम उपग्रह निगरानी का भी उपयोग कर रहे हैं। नाइक ने यह भी कहा कि देश के सामने कई चुनौतियां हैं, जो दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि अब तक वायुसेना के समक्ष चुनौतियों का प्रभाव यह है कि हमें हर तरह के संघर्ष के लिए तैयारी करनी है, परमाणु जैसी शीर्ष चुनौती से लेकर आतंकी हमलों जैसी कमतर संघर्षों के लिए भी। उन्होंने कहा कि देश की आकांक्षा की पूर्ति के लिए हमें क्षमता हासिल करनी होगी।
नाइक ने कहा कि हर तरह की चुनौती चाहे यह भू-राजनीतिक हो या देश के अंदर यह सब समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता के आधार पर इन सभी चुनौतियों से क्षमता बढ़ाकर निपटा जा रहा है।