कृषि एवं खाद्य मंत्री शरद पवार ने चीनी की कीमतों में मौजूदा वृद्धि को गलत तरीके से पेश किए जाने की आलोचना करते हुए आज कहा कि वर्तमान कीमत की तुलना पहले के किसी सामान्य वर्ष से की जानी चाहिए, तभी सही तस्वीर सामने आएगी।
पवार ने कहा कि विभिन्न मीडिया रिपोर्टों में चीनी की कीमतों की तुलना पिछले दो वर्षों की कीमतों से की जा रही है। ऐसी तुलनाओं की समस्या यह है कि पिछले दो सत्रों में चीनी की उपलब्धता बहुत ज्यादा होने से उसकी कीमतें गन्ने की लागत से भी काफी कम हो गई थीं।
उल्लेखनीय है कि इस समय चीनी की कीमतें 30.35 रुपए प्रति किलो के लगभग चल रही हैं, जो पिछले साल की कीमतों से लगभग दोगुनी हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले सत्र की कीमत से तुलना करने से सही तस्वीर सामने नहीं आ रही है और इससे स्थिति के बारे में गलत तस्वीर सामने आ रही है।
उन्होंने कहा कि मैं मीडिया के मित्रों से अपील करता हूँ कि वे मौजूदा कीमतों की तुलना सामान्य चीनी वर्ष से करें। कृषि मंत्री ने कीमतों में मौजूदा वृद्धि के लिए राज्यों की नीतियों की भी आलोचना की।
उन्होंने कहा कि पिछली बार 81.18 रुपए के निर्धारित एसएमपी को मानने के बजाय हरियाणा में 160 रुपए प्रति क्विंटल या उत्तरप्रदेश में 140 रुपए प्रति क्विंटल का भाव तय कर दिया गया तो इससे चीनी की कीमतों पर तो असर होगा ही।
पवार ने कहा कि उपभोक्ताओं को चीनी की महँगाई के कारण परेशानी जरूर हो रही है, पर हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि किसान गन्ने की बढ़ी हुई कीमतों को लेकर पहले से ज्यादा खुश है।
पवार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चीनी के दामों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है इसका भारत के बाजारों पर भी असर लाजिमी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता बढ़ाने के कई कदम उठाए हैं।
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