04 सितंबर, 2009

भारतीय पुजारियों से हाथापाई, जनेऊ तोड़े

नेपाल में माओवादियों के एक समूह ने शुक्रवार को पशुपतिनाथ मंदिर में दो पुजारियों के साथ जबरदस्त धक्का-मुक्की की और उनके कपड़े फाड़ दिए तथा जनेऊ तोड़ दिए।
पाँचवीं सदी में निर्मित इस मंदिर के इन पुजारियों की हाल में हुई नियुक्ति के बाद विरोध में चल रहे आंदोलन ने शुक्रवार को हिंसक स्वरूप धारण कर लिया।
अधिकारियों ने बताया कि करीब 40-50 की संख्या में माओवादियों ने श्रद्धालुओं के रूप में लगभग डेढ़ बजे इस मंदिर में प्रवेश किया। उन्होंने गिरीश भट्ट (32) और राघवेंद्र भट्ट (32) नाम के पुजारियों को घसीटकर बाहर निकाला। माओवादियों ने उनकी धोती फाड़कर उनके जनेऊ तोड़ दिए। इस घटना में पुजारी बुरी तरह से घायल हो गए हैं।
पुलिसकर्मियों ने स्थानीय लोगों की मदद से इन दोनों पुजारियों को बचाया। मंदिर प्रशासन इन पुजारियों को हाल में कर्नाटक से यहाँ लाया था। इन पुजारियों का चयन करने वाली तीन सदस्यीय समिति के सदस्य शिवशरण राज भंडारी ने यह जानकारी दी।
उधर, इस घटना की खबर फैलने पर बाद भारतीय दूतावास ने हरकत में आते हुए इस मुद्दे पर कानून लागू करने वाली एजेंसियों और राजनीतिक नेतृत्व से बात की। विदेश मंत्रालय प्रवक्ता विष्णु प्रकाश ने नई दिल्ली में कहा कि नेपाल सरकार ने बताया है कि नेपाल सरकार ने कहा है कि पुजारियों की सुरक्षा को सुनिश्चत करने के लिए वह आवश्यक कदम उठाएगी।
इस घटना में चार पुलिसकर्मी भी घायल हो गए क्योंकि उन्होंने पुजारियों के बचाने के लिए हस्तक्षेप किया था। माओवादियों ने मंदिर के मुख्य द्वार के बाहर रखी ‘दानपेटी’ को भी तोड़ दिया। पुलिस ने दो संदिग्ध हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया है।
इस मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान के लिए भारतीय पुजारियों को रखे जाने का माओवादी खुलकर विरोध कर रहे हैं। माओवादियों की यह माँग की थी कि स्थानीय लोगों को इस कार्य के लिए रखा जाए और उनकी माँग पर जोर देने के लिये एक ‘संघर्ष समिति’ का गठन किया जाए।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने बुधवार को कैबिनेट के एक फैसले के जरिये भारतीय पुजारियों की नियुक्ति को मंजूरी दी थी।

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