गुड़गांव निवासी पांड्या के पिता आर. एस. पांड्या ने कहा, मेरे बेटे की मौत आरएमएल के चिकित्सकों की लापरवाही की वजह से हुई। वे हमें सहयोग नहीं कर रहे थे। गुरुवार सुबह तक हमें पता नहीं था कि सम्राट को स्वाइन फ्लू है।
पांड्या ने कहा कि सम्राट को सबसे पहले गुड़गांव स्थित संजीवनी अस्पताल में भर्ती करवाया था, जहां चिकित्सकों ने उसे पारासिटामोल दिया था। जब सम्राट के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ तो उसे गुड़गांव के ही मैक्स अस्पताल में भर्ती करवाया गया, वहां चिकित्सकों ने उसे स्वाइन फ्लू का इलाज करने वाले सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाने की सलाह दी थी।
दूसरी ओर, आरएमएल के चिकित्सा अधीक्षक एन. के. चतुर्वेदी ने पांड्या के आरोपों को गलत बताया है। उन्होंने बताया कि सम्राट को जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था और उसके हृदय और फेफड़े ने काम करना बंद कर दिया था।
चतुर्वेदी ने कहा कि सम्राट को 16 अगस्त को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उसमें स्वाइन फ्लू की तरह लक्षण पाए गए थे। अस्पताल में भर्ती होने से चार-पांच दिन पहले से ही सम्राट को हल्का बुखार, कफ, सांस लेने में समस्या और गले में खरास थी। हमने उसका ईसीजी करवाया और पता चला कि उसे मायोकारडिटिज है। इस वजह से उसके दिल और फेफड़े में समस्या आ गई थी। उसे बुधवार शाम दो बार दिल का दौरा पड़ा था और गुरुवार सुबह उसकी मौत हो गई।