वरिष्ठ माओवादी नेता सीपी गजुरेल ने कहा कि पंचेश्वर परियोजना उस महाकाली संधि का हिस्सा है जिस पर 1996 में भारतीय प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव और उनके नेपाली समकक्ष शेर बहादुर देउवा के बीच हस्ताक्षर हुए थे। उन्होंने संधि को छलावा बताया।
उन्होंने कहा कि महाकाली संधि की समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है। अगर प्रधानमंत्री नेपाल पंचेश्वर के संबंध भारत के साथ किसी समझौते पर पहुंचते हैं तो इससे हमारी पार्टी के जारी आंदोलन को हवा मिलेगी।
उन्होंने कहा कि नेपाल को भारत के साथ प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर करना चाहिए। नेपाल की भारत यात्रा 18 अगस्त से शुरू हो रही है। माओवादियों ने नागरिक श्रेष्ठता बनाए रखने और राष्ट्रपति द्वारा सेनाध्यक्ष को बहाल करने के खिलाफ महीने भर का आंदोलन शुरू किया है।
माओवादी नेता गजुरेल ने कहा कि प्रत्यर्पण संधि के बदले हमें भारत के साथ भूटानी शरणार्थियों का मामला उठाना चाहिए। पूर्वी नेपाल में एक लाख 20 हजार भूटानी शरणार्थी करीब दो दशक से रहे रहे हैं और यह ज्वलंत मुद्दा है। उन्होंने कहा कि सरकार को भारत से हथियारों के आयात को लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहिए। अगर सरकार भारत से हथियार लेने का फैसला करती है, ऐसे मौके पर शांति प्रक्रिया बाधित हो सकती है।
उन्होंने भारत पर 58 स्थानों पर सीमा का अतिक्रमण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नेपाल को इस संबंध में किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए।