26 जुलाई, 2009

बिहार महिला निर्वस्त्र: 14 पुलिस अफसरों के तबादले


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में एक महिला को कथित रूप से सरेआम निर्वस्त्र किए जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए शनिवार को राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारियों के तबादले का आदेश जारी कर दिया।
एक पुलिस महानिरीक्षक और उप-महानिरीक्षक सहित भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 14 अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया गया है।
जिला पुलिस प्रमुखों सहित पटना के शीर्ष पुलिस अधिकारियों को उनके पदों से हटा कर अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया है। इसके साथ ही 14 पुलिस उपाधीक्षकों को भी स्थानांतरण कर दिया गया है।
पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण को सरकार की ओर से इस मामले में की गई एक तरह की क्षतिपूर्ति के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि विपक्ष और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने राज्य में अराजकता के लिए सरकार की जम कर आलोचना की थी।
इस मामले में इलाके के गश्ती दल के प्रभारी सहायक उप-निरीक्षक शिवनाथ सिंह को समय पर महिला की मदद न करने के आरोप में पहले ही निलंबित किया जा चुका है।
मामले के तूल पकड़ने के बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी पर अपराध नियंत्रण कानून (सीसीए) के तहत कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। इधर, राज्य महिला आयोग ने भी पीड़िता से मिलकर उसे न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया है।
राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक नीलमणि ने शनिवार को बताया कि शुक्रवार रात राज्य के पुलिस महानिदेशक की अध्यक्षता में विभाग के आला अधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें इस मामले के आरोपी राकेश सिंह पर सीसीए लगाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि इसके लिए विभाग की तैयारी प्रारंभ कर दी गई है।
उन्होंने बताया कि होटल में ठहरे उन दो लोगों की भी पहचान कर ली गई है, जिनके इस मामले में शामिल होने की बात कही गई है। उस होटल को भी सील कर दिया गया है जिसमें पीड़िता को लाया गया था।
इधर, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष लेसी सिंह ने भी पीड़िता से मिलकर दोषियों पर कार्रवाई करवाने का आश्वासन दिया है। सिंह ने शनिवार को बताया कि इस मामले में उन्होंने पटना के वरीष्ठ पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट भी मांगी है।
इधर, पुलिस के अनुसार पीड़िता कोलकता की रहने वाली है, जहां उसके पति कारपेंटर हैं। उसके दो बच्चे हैं। जब वह अपने मायके जसीडीह आ रही थी तभी उसकी पहचान राकेश से हुई और उसे नौकरी का झांसा देकर वह पटना ले आया।
ज्ञात हो कि शुक्रवार को इस मामले को लेकर विधानसभा में विपक्षी सदस्यों ने जमकर हंगामा मचाया था, जिस कारण विधानसभा की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मामले की सुनवाई त्वरित न्यायालय में करवाने का आश्वासन दिया है।

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