18 अप्रैल, 2009

ईमान बेचता फिरता, तो मैं भी महलों में रह लेता

'तुझ-सा लहरों में बह लेता, तो मैं भी सत्ता गह लेता, ईमान बेचता फिरता, तो मैं भी महलों में रह लेता'। महान कवि गोपाल सिंह नेपाली की उक्त पंक्तियों के साथ अंग प्रदेश में उनकी 46 वीं पुण्यतिथि मनाई गई। मौके पर स्टेशन परिसर में 'शब्दयात्रा' के बैनर तले शुक्रवार को आयोजित पुष्पाजंलि कार्यक्रम में एकत्र हुए महज गिनती के लोगों ने ही उनकी शहादत को नमन किया। चंद लोगों की उपस्थिति में ही शहर के बूढे़-बुजर्गो ने परिसर के मुख्य द्वार पर दरी बिछाकर मां सरस्वती के इस महान सपूत की रचनाओं का न सिर्फ पाठ किया, बल्कि उनके आदर्शो पर भी चलने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ नेपाली बाबू के चित्र पर पुष्प अर्पित कर हुआ। इसके बाद सबसे पहले मुरारी मिश्र ने 'भारत के प्यारे जागो' को प्रस्तुत कर देश के युवाओं को झकझोरा। कार्यक्रम जैसे-जैसे रफ्तार पकड़ती गई, वैसे-वैसे काव्य रचनाओं का सिलसिला भी तेज होता गया। हरिप्रसाद गोप की 'तारे चमके, तुम भी चमको' को भी अतिथियों ने खूब सराहा। रामावतार राही की 'तुम ना आया करो' पर तो पूरा परिसर तालियों से गूंज उठा। रोमांच का यह आलम था कि उपस्थित श्रोताओं ने कवियों का इस्तकबाल तालियों से किया। अशोक कुमार यादव ने 'मेरा धन है स्वाधीन कलम' और अमोध कुमार मिश्र ने 'चालीस करोड़ों को हिमालय ने पुकारा' से भी श्रोताओं को अभिभूत किया। इसके बाद डा. राजेन्द्र पंजियारा 'बाबुल तुम बगिया के तरुवर' और कविन्द्र मिश्र 'तारे टूटे दिन भी छूटा, बीती रात ना आएगी' से ऐसा समां बांधा कि सभी भावविभोर हो उठे। मौके पर संस्था के पारस हरिकुंज ने कहा कि '63' में भागलपुर स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर दो पर अंतिम सांस लेने वाले नेपाली बाबू की स्मृति में भारत सरकार डाक टिकट जारी करने के साथ-साथ उन्हें भारत रत्‍‌न से भी सम्मानित करे। इसके अलावा संस्था ने कई मांगों को भी विस्तार से रखा। दूसरी ओर साहित्य सफर ने मारवाड़ी पाठशाला में गोपाल सिंह नेपाली की पुण्यतिथि के मौके पर 'गीत गाएं गोपाल के' कार्यक्रम का आयोजन किया। इस मौके पर वक्ताओं ने नेपाली बाबू की रचनाओं को प्रस्तुत कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता जगतराम साह कर्णपुरी ने की।

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