30 जुलाई, 2012

ओलंपिक में आज उतरेगी भारतीय हॉकी टीम


ओलंपिक के मैदान पर आठ साल बाद फिर भारतीय हॉकी नजर आएगी। सोमवार को नीदरलैंड(हॉलैंड) के खिलाफ अपने पहले मैच के साथ भारतीय हाकी अपने सुनहरे दिनों को लौटाने की कोशिश करेगी। ओलंपिक में भारतीय खेलप्रेमियों के लिए हॉकी के प्रति बहुत आक र्षण रहा है, लेकिन 1980 के मास्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक लाने के बाद भारतीय हाकी टीम कोई पदक नहीं ला पाई है। बीजिंग में तो वह क्वालिफाई भी नहीं कर पाई थी।

ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम आठ बार स्वर्ण पदक विजेता रही है। लेकिन इस समय विश्व स्तर पर उसकी रैंकिंग दसवीं हैं। जबकि आक्रामक हॉकी खेलने वाली डच टीम इस समय तीसरे रैंकिंग के साथ है। भारतीय टीम की पहली परीक्षा इसी शक्तिशाली नीदरलैंड से है। नीदरलैंड टीम हाकी में यूरोपियन शैली में शक्ति और रफ्तार के लिए जानी जाती है।

लंदन के साथ भारतीय हॉकी की मधुर यादें जुड़ी हुई है। 1948 में भारतीय हॉकी टीम ने स्वर्ण पदक जीता था। जबकि 1996 और 2000 ओलंपिक की विजेता नीदरलैंड भारत के अलावा ऐसा देश है जिसने सबसे ज्यादा गोल्ड जीते हैं। कभी भारतीय टीम का हॉकी में परचम फैला हुआ था। दुनिया में भारत को चुनौती देने वाला देश नहीं था। 1928 से 1956 तक हॉकी के स्वर्ण पदक भारत ने ही जीते।

अगर दूसरे विश्व युद्ध के कारण दो बार ओलंपिक खेल स्थगित नहीं हुए होते तो भारत अपने स्वर्ण पदकों की संख्या दो अंकों तक कर लेता। लेकिन अब भारतीय हॉकी फिर से उन दिनों को वापस लाने के लिए संघर्ष कर रही है। भारतीय हॉकी लंबे समय से अपने लय में नहीं आ पा रही है। 1980 के मास्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद इन बत्तीस सालों में भारतीय हॉकी सेमीफाइनल में जगह बनाने के लिए भी तरस गई है।

मास्को ओलंपिक में भी आस्ट्रेलिया, प. जर्मनी, नीदरलैंड और पाकिस्तान जैसे देशों के बायकाट करने से भारतीय टीम के लिए हॉकी में कठिन चुनौती नहीं रह गई थी। लेकिन अब भारतीय टीम एक बार फिर कुछ संभलती हुई दिख रही है। कोच नोब्स ने टीम में काफी जरूरी सुधार किए हैं। भारतीय हॉकी का ढर्रा काफी कुछ बदला हुआ है। उसकी पहली कोशिश पहले चार में जगह बनाने की होगी।

विश्व चैंपियन आस्ट्रेलिया और ओलंपिक चैंपियन जर्मनी लंदन ओलंपिक में पदक की सशक्त दावेदार टीमें हैं। नई दिल्ली में 2010 का विश्व कप हॉकी में आस्ट्रेलिया ने फाइनल में अपने शानदार खेल के बदौलत जर्मनी को पराजित किया था। नीदरलैंड की हाकी टीम ने हाल के वर्षों में अपनी कुछ लय खोई है। लेकिन वह आस्ट्रेलिया और जर्मनी से बहुत पीछे नहीं है।

वैसे भारतीय हॉकी टीम के कप्तान भरत छेत्री का कहना है कि टीम ने बहुत मेहनत की है। और भारतीय टीम लंदन ओलंपिक के महत्व को समझ रही है। भारतीय टीम इस बात के लिए हर संभव कोशिश करेगी कि भारतीय हॉकी के सुनहरे दिन फिर से वापस आएं। हम यह साबित करना चाहते कि हम वहां केवल एक प्रतीक के तौर पर नहीं है। बल्कि भारतीय हॉकी इस बार अपने तेजतर्रार रूप में होगी।

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