23 जून, 2012

अमेरिका ने पाकिस्तान को दी कड़ी चेतावनी

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने पाकिस्तान को भारत और अफगानिस्तान विरोधी आतंकी गुटों को मदद देने से बाज आने को कहा है।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने साफ शब्दों मे पाकिस्तान को चेताया है कि उसे अपने यहां पल रहे आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी। हिलेरी क्लिंटन ने ये बातें एक टेलीविजन कार्यक्रम के दौरान कही। इस कार्यक्रम में उनके साथ पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री जेम्स बेकर भी थे।
हिलेरी क्लिंटन ने कहा, 'हमने पाकिस्तान से कहा है कि अब वे दिन खत्म हो गए हैं जब आप अपनी नीति के तहत अफगानिस्तान को अस्थिर करने के लिए कभी हक्कानी नेटर्वक तो कभी तालिबान की मदद करते रहे तो भारत के खिलाफ लश्कर-ए-तैयबा का सर्मथन किया।'
हिलेरी क्लिंटन के अनुसार, 'यह बिलकुल ऐसी ही बात है कि जैसे कोई जहरीले सापों को अपने पास रखे और यह सोचे की वह सिर्फ उसके पड़ोसियों को ही काटेगा।'
हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि पाकिस्तान के साथ रिश्ते लंबे समय से चुनौतीपूर्ण रहे हैं. उनके अनुसार, 'सोवियत फौज की अफगानिस्तान से वापसी के बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में जेहादी विचारधारा को बढ़ावा दिया जिससे अफगानिस्तान के अंदर और बाहर लड़ाकों की एक फौज खड़ी हो गई।'
हिलेरी क्लिंटन ने कहाए 'हम एक ऐसे देश के साथ रह रहे हैं जिसके पास ढेर सारी समस्याएं हैं, जो कि उसे और हमें ही नही औरों को भी प्रभावित कर रही हैं।'
हिलेरी क्लिंटन ने हालांकि पाकिस्तान के साथ संबंधों को खत्म करने की संभावना से इनकार किया. उन्होंने कहा, 'ये हमारे हित मे है कि हम इस रिश्ते को बेहतर ढंग से निभाएं और इसके लिए हमने पाकिस्तान को भी कहा है. सबसे पहले उन्हें अपने देश के अंदर आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों को लेकर और काम करना होगा।'
हिलेरी क्लिंटन ने कहा, 'ये हर कोई जानता है कि तालिबान की गतिविधियों को सीमित कर दिया गया है. इलाके को उनसे छीन लिया गया है और अफगान फौजें भी अच्छा काम कर रही हैं, लेकिन इसके बावजूद आतंकवादी अभी भी सक्रिय है।'
अमरिकी विदेश मंत्री ने कहा की पाकिस्तान को यह समझाना होगा कि अफगानिस्तान से हमारे हटने के बाद एक सशक्त और सुरक्षित अफगानिस्तान ही उनके हित मे है।
हिलेरी क्लिंटन ने कहा, उनके मुताबिक, 'ये सिर्फ तभी हो सकता है जब हम समाधान के भागी बने। एक साथ बैठ कर अफगानिस्तान के आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति पर काम करें, न की शांति के प्रयासों को चोट पहुंचाने की कोशिश करें।

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