20 जून, 2012

दादा' की दावेदारी को चाय बेचने वाले की चुनौती

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) द्वारा राष्ट्रपति पद के लिए घोषित किए गए उम्मीदवार केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का मुकाबला करने को लेकर भले ही बड़े-बड़े राजनीतिक दलों से लेकर दिग्गजों तक की सांस फूल रही हो, मगर मध्य प्रदेश के ग्वालियर के आनंद सिंह कुशवाहा ने ताल ठोक दी है। पेशे से चाय बेचने वाले आनंद का कहना है कि वह लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। ग्वालियर के तारागंज इलाके में चाय बेचने वाले आनंद की पहचान चुनावी मैदान में काका धरती पकड़ जैसी बनती जा रही है। वह पार्षद से लेकर राष्ट्रपति पद तक का चुनाव लड़ चुके हैं। पिछली दफा भी उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन भरा था। इस बार भी वह अपनी किस्मत आजमाने मैदान में उतरे हैं। उन्हें हार की चिंता नहीं है। आनंद कहते हैं कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को चुनाव लड़ने का अधिकार है। उन्हें भी चुनाव लड़ने का हक है, लिहाजा ऐसा क्यों न करें! वह साबित करना चाहते हैं कि आम आदमी कुछ भी कर सकता है। दूसरों को चाय पिलाकर अपने परिवार का जीवन यापन करने वाले आनंद की राजनीति में गहरी दिलचस्पी है और वह आने वाले ग्राहकों से चाय की चुस्की के बीच देश और राजनीति के मुद्दों पर चर्चा करते नजर आ जाते हैं। आनंद ग्वालियर से लोकसभा व विधानसभा का भी चुनाव लड़ चुके हैं। आनंद के पास महज कुछ हजार रुपए की संपत्ति है, जिसकी घोषणा उन्होंने 2009 में लोकसभा चुनाव के दौरान की थी। घोषणा के मुताबिक उनके पास पांच हजार रुपये नकद, पत्नी के पास मंगलसूत्र, एक साइकिल और खुद का मकान है। इसके अलावा उन पर 12 हजार रुपये का बैंक कर्ज और 60 हजार रुपये का दीगर कर्ज है। उनके आश्रितों के नाम से कोई संपत्ति नहीं है। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में अभी तक जिन चार लोगों ने नामांकन भरे हैं, उनमें आनंद भी शामिल हैं। उनका कहना है कि कुछ सांसदों से उनकी बात हुई है और उन सांसदों ने भरोसा दिलाया है कि समय आने पर वे उनका साथ देंगे।

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