20 फ़रवरी, 2010

दलाई लामा की विश्वसनीयता पर सवाल

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा से मुलाकात के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की आलोचना करने के एक दिन बाद चीन के सरकारी मीडिया ने शनिवार को तिब्बत का प्रतिनिधित्व करने की उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने तिब्बती होने का अधिकार खो दिया है क्योंकि बौद्ध भिक्षु ने खुद को ‘भारत का बेटा’ करार दिया है।

पीपुल्स डेली की वेबसाइट पर एक लेख में आज कहा गया है कि जब कुछ विदेशी समूह इस बात का दावा कर रहे हैं कि वे तिब्बती धर्म, संस्कृति और भाषा की सुरक्षा के लिए दलाई लामा का समर्थन कर रहे हैं तो इस पर भी एक सवाल उठता है कि बौद्ध भिक्षु क्या स्वयं तिब्बती हैं।

अखबार ने पिछले साल दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा का जिक्र करते हुए कहा है कि अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने कहा था कि मैं खुद को भारत के बेटे के रूप में देखता हूँ और इससे मैं गौरवान्वित होता हूँ। देखने से लगता है कि मैं तिब्बती हूं क्योंकि मेरे माता-पिता तिब्बत से हैं, लेकिन धार्मिक तौर पर मैं भारतीय हूँ।

अखबार ने दलाई लामा के 2007 की अरुणाचल यात्रा के बारे में कहा है कि उस समय उन्होंने कहा था कि अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है। हालाँकि चीन इस पर अपना दावा करता रहा है। ‘तिब्बत की निर्वासित सरकार’ के बयान में भी दलाई लामा के इस बयान की प्रतिध्वनि है। इसमें कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश और मैकमोहन क्षेत्र के बारे में चीन का दावा है कि यह दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है। चीनी इतिहास में स्थानीय तिब्बत सरकार इस पर शासन कर चुकी है।

इसमें यह भी कहा गया है कि यह छठे दलाई लामा का जन्मस्थान है और यह दावा किया जाता है कि पाँचवें दलाई लामा ने यहाँ मंदिर निर्माण करवाया है। तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र तथा चीन में तिब्बतियों के निवास स्थान को मिलाकर जहाँ एक ओर वे वृहद तिब्बत की माँग करते हैं, वहीं दूसरी ओर अपने पूर्वजों की जमीन तिब्बतियों का प्रतिनिधि बनकर दलाई लामा विदेशियों को सौंप रहे हैं।

अखबार ने यह भी कहा है कि इस स्थिति में ऐसा व्यक्ति धर्म, संस्कृति, भाषा और मानव अधिकारों की बात करता है। विदेशी ताकतों के साथ यह देश को विभाजित करने की उनकी साजिश की पुष्टि करता है।

ध्यान दें

प्रकाशित समाचारों पर आप अपनी राय या टिपण्णी भी भेज सकते हैं , हर समाचार के नीचे टिपण्णी पर क्लिक कर के .

लोकप्रिय समाचार