सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को लखनऊ केंद्रीय कारागार परिसर में बने तीन मंदिरों को तोड़ने से रोक दिया है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के जी बालाकृष्णन की खंडपीठ ने राज्य प्रशासन को इन मंदिरों के विध्वंस की किसी भी योजना पर अमल नहीं करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने लखनऊ निवासी संगम लाल पांडेय की अर्जी पर यह निर्देश जारी किया है। याचिका में पांडेय ने कहा है कि जेल परिसर में चार ब्रिटिशकालीन मंदिर थे, जिनमें से एक मंदिर को पहले ही तोड़ा जा चुका है। शेष तीन मंदिरों को परिसर में एक इकोलॉजिकल पार्क विकसित करने के लिए तोड़ा जा सकता है। गौरतलब है कि राज्य सरकार जेल को लखनऊ से बाहर स्थानांतरित करने का प्रस्ताव पहले ही तैयार कर चुकी है।
एक ओर जहां उत्तर प्रदेश सरकार के वकील शफीक चंद्र मिश्र ने जेल परिसर में किसी मंदिर का अस्तित्व होने से ही इनकार कर दिया है, वहीं पांडेय ने जेल परिसर में तीन मंदिर होने के सबूत के तौर पर मंदिरों की तस्वीरे पेश की है। इन सबूतों के आधार पर अदालत ने मंदिरों को नहीं तोड़ने का निर्देश दिया।