18 सितंबर, 2009

लखनऊ जेल का मंदिर गिराने पर रोक से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने पुराने लखनऊ जेल परिसर में मंदिरों को ढहाए जाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। परिसर में एक पारिस्थितिकी पार्क बनाने के लिए ढांचों को ढहाए जाने का काम चल रहा है।

मुख्य न्यायाधीश के जी बालकृष्णन तथा न्यायाधीश पी शांतिशिवम और बी एस चौहान की खंडपीठ ने कहा कि जनता के लिए जेल के भीतर मंदिर नहीं हो सकता। कैदियों की पूजा के लिए वहां कोई जगह हो सकती है। जेल अब स्थानांतरित हो चुका है।

न्यायालय ने कहा कि जेल परिसर की चारदीवारी के बाहर मंदिरों को ढहाने के लिए वह आदेश पारित नहीं कर सकती क्योंकि उसे केवल जेल के भीतर पूजा स्थल से मतलब है। पुराने जेल परिसर में मंदिर को ढहाए जाने को लेकर एडवोकेट संगम लाल पांडे द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने एक हलफनामे में जेल की चारदीवारी के बाहर दो मंदिर होने की बात स्वीकार की है।

खंडपीठ ने कहा कि हम जेल की चारदीवारी के बाहर मंदिर की मौजूदगी से वाबस्ता नहीं है। अगर जेल के भीतर मंदिर है तो केवल कैदियों के लिए है। उसने हालांकि एडवोकेट पांडे की यह दलील स्वीकार कर ली कि राज्य सरकार के हलफनामे का जवाब चार हफ्ते में दिया जाएगा।

राज्य सरकार की पैरवी कर रहे वरिष्ठ एडवोकेट के के वेणुगोपाल तथा एस सी मिश्रा ने तब विरोध प्रकट किया जब याचिकाकर्ता ने जेल परिसर के ठीक बाहर स्थित मंदिर का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यह याचिका का विषय नहीं है।

न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था कि वह अगले आदेश तक जेल और उसके आसपास स्थित मंदिरों को न ढहाए। इसके जवाब में राज्य सरकार ने चार सितंबर को हलफनामा दायर किया। पांडे ने याचिका में आरोप लगाया है कि अधिकारी जेल क्षेत्र में मंदिरों को ढहा रहे हैं।

मुख्यमंत्री के करीबी सहयोगी मिश्रा ने इससे पहले इस बात का खंडन किया कि वहां कोई मंदिर है। उन्होंने आरोप लगाया कि याचिका परियोजना में बाधा डालने के लिए दायर की गई है जिसके लिए पुराने जेल को ढहाया जा रहा है।

पांडे ने जेल को ढहाए जाने पर रोक के लिए भी याचिका दायर की थी। उन्होंने उसमें आरोप लगाया था कि ऐसा स्मारकों के निर्माण के लिए किया जा रहा है। न्यायालय ने उनकी दलील मानने से इनकार कर दिया क्योंकि राज्य सरकार ने 18 जुलाई को आश्वासन दिया कि पुराने जेल परिसर का इस्तेमाल स्मारकों के निर्माण के लिए नहीं बल्कि पारिस्थितिकी पार्क बनाने के लिए किया जाएगा। न्यायालय ने कहा कि वह जेल को ढहाए जाने को नहीं रोक सकता क्योंकि उसे धरोहर इमारत घोषित नहीं किया गया है।

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