बांग्लादेश की लेखिका तस्लीमा नसरीन अपने वीजा की अवधि बढ़वाने के लिए गुरुवार सुबह यहाँ पहुँचीं। उनके वीजा की अवधि 17 अगस्त को खत्म हो रही है।
तस्लीमा को नवम्बर 2007 में पश्चिम बंगाल से नाटकीय रूप से बाहर कर दिया गया था। इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर रहीं तस्लीमा आज सुबह एक यूरोपीय देश से यहाँ के इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुँचीं, जहाँ से सुरक्षा एजेंसियाँ उन्हें किसी अज्ञात स्थान पर ले गईं।
अपनी किताब ‘‘लज्जा’’ से प्रसिद्ध हुईं तथा डॉक्टर से लेखिका बनीं तस्लीमा की भविष्य की योजना के बारे में तत्काल पता नहीं चल पाया है। इस किताब के चलते वे सालों से इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं।
वे भारत की स्थाई नागरिकता के लिए आग्रह करती रही हैं, लेकिन सरकार ने इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं किया है। तस्लीमा गत वर्ष 18 मार्च को भारत छोड़कर स्वीडन चली गई थीं। उन्हें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चार महीने से अधिक समय तक एक सुरक्षित मकान में रखा गया था। उस दौरान तस्लीमा को किसी से मिलने की इजाजत नहीं थी, जिसे उन्होंने ‘‘मौत के चैम्बर’’ में रहने जैसा करार दिया था।
आगामी 25 अगस्त को अपना 47वाँ जन्मदिन मनाने जा रहीं तस्लीमा के वीजा की अवधि बढ़ाए जाने के लिए संबंधित कागजात सरकार के पास पहुँच चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि वीजा की अवधि बढ़ाए जाने को सरकार द्वारा जल्द स्वीकृति दिए जाने की संभावना है।
सूत्रों ने कहा कि वे आगे की कार्रवाई के लिए सरकार के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। तस्लीमा इस साल फरवरी की शुरुआत में भारत लौटी थीं। उस समय उन्हें 17 अगस्त तक के लिए वीजा प्रदान कर दिया गया था, लेकिन देश में आम चुनावों की वजह से उन्हें तत्काल भारत छोड़ने को कह दिया गया था।
सूत्रों ने कहा कि लेखिका इस बार कोलकाता में अपने निवास स्थान पर जाने के लिए नहीं कह रही हैं, क्योंकि उन्हें वहाँ जाने पर वामदलों के विरोध की आशंका है।
बांग्लादेश की लेखिका 1994 से लेकर अब तक फ्रांस, स्वीडन और भारत सहित बहुत से देशों में निर्वासित जीवन व्यतीत कर चुकी हैं। भारत में पाँच साल रहने के दौरान उन्होंने कई बार विदेशों की यात्रा भी की। नवम्बर 2007 में उनसे पश्चिम बंगाल छोड़ देने को कह दिया गया।
उनकी विवादास्पद पुस्तक ‘द्विखंडितो’ को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद उन्हें कोलकाता से स्थानांतरित कर दिया गया।
पुस्तक में दिए गए कुछ संदर्भों के चलते एक तूफान सा खड़ा हो गया। कुछ मुस्लिम संगठनों ने भी उन्हें राज्य से बाहर निकालने की माँग की।
तस्लीमा को कोलकाता से जयपुर भेज दिया गया। कुछ मुस्लिम संगठनों द्वारा राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शनों की धमकी दिए जाने के बाद राजस्थान सरकार ने उन्हें दिल्ली भेजने का फैसला किया।
लेखिका की कोलकाता लौटने की इच्छा के बावजूद पश्चिम बंगाल की वाम मोर्चा सरकार ने उनके आग्रह पर कोई ध्यान नहीं दिया। बांग्लादेशी लेखिका ने कहा था कि उन्हें इतने कम समय में कोलकाता छोड़ने को ‘विवश’ किया गया कि वे कपड़े भी नहीं बदल पाईं।
स्वीडन का पासपोर्ट रखने वाली तस्लीमा गत वर्ष 18 मार्च को दिल्ली से स्वीडन के लिए रवाना हो गई थीं और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते अस्पताल में भर्ती किया गया था
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