25 अगस्त, 2009

आईआईटी के प्रोफेसर सामूहिक अवकाश पर

आईआईटी बंबई के 200 से अधिक प्रोफेसर सरकारी वैज्ञानिकों के समान वेतन की माँग को लेकर सोमवार को सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं।
चेन्नई और मुंबई में अपने सहकर्मियों के इस कदम के बाद आईआईटी दिल्ली के संकाय सदस्य भी मंगलवार से सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। आईआईटी-बी के संकाय सचिव सौम्य मुखर्जी ने कहा कि आईआईटी के प्रोफेसर सरकारी वैज्ञानिकों और इस दर्जे के अन्य अधिकारियों की तुलना में 23 लाख रुपए का नुकसान उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वेतन में बढ़ोतरी की माँग का मकसद आईआईटी में शिक्षकों को आकर्षित करना भी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश भर में आठ नए आईआईटी खोलने की घोषणा की है और इसके लिए आठ हजार प्रोफेसरों की जरूरत होगी।
मुखर्जी ने कहा कि आईआईटी में हमारा काम अन्य विश्वविद्यालयों से अलग तरह से शिक्षण देना और अनुसंधान करना है। इसलिए हम अपने कामकाज के लिए सम्मान और प्रतिष्ठा की माँग कर रहे हैं। उन्होंने इस साल फरवरी में सरकार के समक्ष प्रस्तुत गोवर्धन मेहता रिपोर्ट की आलोचना करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट की कुछ सिफारिशें प्रोफेसरों के पक्ष में नहीं हैं।
मुखर्जी ने कहा कि रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि आईआईटी के प्रोफेसर को पीएचडी के बाद तीन साल का अनुभव होना चाहिए, जबकि यह काफी हद तक असंभव है कि नौकरी मिलने के बाद लोग यहाँ आएँ।
उधर आईआईटी दिल्ली के भौतिकी के प्रोफेसर अनुराग शर्मा ने कहा कि संकाय संघ ने अपने सभी सदस्यों से अनुरोध किया है कि वे आईआईटी स्टाफ को वेतन के मुद्दे पर सरकार के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए कल सामूहिक अवकाश पर रहें।
उन्होंने कहा कि किसी भी सदस्य पर अवकाश पर जाने का दबाव नहीं है, लेकिन उम्मीद जताई कि सभी 450 सदस्य इसका पालन करेंगे। आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर शुक्रवार को ही सामूहिक अवकाश पर चले गए थे।

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