26 अगस्त, 2009

नीतीश कुमार हुए बिजनेस रिफार्मर आफ द ईयर अवार्ड के लिए चयनित


बिहार प्रदेश को विकास की पटरी पर लाने की दिशा में किए गए बेहतरीन प्रदर्शन के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिजनेस रिफार्मर आफ द ईयर अवार्ड के लिए चयनित किया गया है। यह अवार्ड इकोनामिक टाइम्स द्वारा हर वर्ष आर्थिक विकास के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले व्यक्ति को दिया जाता है।
चयन समिति में शामिल जजों ने एकमत से उन्हें दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से अधिक अंक दिए हैं। जजों की राय थी कि बिहार में सुधार कार्यक्रम चलाना एक बड़ा कार्य है। शीला दीक्षित के अलावा उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता इस अवार्ड के अन्य दावेदारों में थे। दिल्ली में नवंबर में आयोजित एक समारोह में उन्हें यह अवार्ड दिया जायेगा।
बिहार के कोसी क्षेत्र में पिछले वर्ष आई बाढ़ से निपटने में अपनी प्रशासनिक कुशलता दिखाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चयन समिति द्वारा सबसे अधिक सराहा गया। सूबे की सत्ता संभालने के बाद ही श्री कुमार प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र को पटरी पर लाने में लगे हैं। प्रदेश का प्रशासनिक तंत्र पिछले कुछ सालों में पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका था। जब श्री कुमार के नेतृत्व में नवंबर 2005 में भाजपा-जदयू की सरकार ने प्रदेश की सत्ता संभाली थी, तब इसे बदलाव का एक नया अध्याय शुरू होने के रूप में देखा गया। पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद एवं उनकी पार्टी राजद के 15 वर्षो के शासनकाल को समाप्त करने के पश्चात श्री कुमार ने सत्ता की बागडोर प्रदेश में बदलाव के वादे के साथ ही संभाली थी। तब से वे लगातार सुधार कार्यक्रमों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। पिछले तीन वर्षो में अपने प्रयास में लगे श्री कुमार को अब तक काफी सफलता मिली है हालांकि प्रदेश की स्थिति को वापस पटरी पर आने में अभी कुछ समय और लगेगा। जदयू नेता श्री कुमार, जिन्हें बिहार की आखिरी उम्मीद भी कहा जाता है, प्रदेश को वर्ष 2015 तक विकसित राज्य बनाना चाहते हैं। सूबे के मुख्य रूप से कृषि प्रधान प्रदेश रहने के कारण कृषि आधारित उद्योगों पर काफी ध्यान दिया जा रहा है।
नीतीश कुमार आरंभ से ही कहते रहे हैं कि कृषि आधारित उद्योगों पर ध्यान केन्दि्रत करने से भूमि अधिग्रहण काफी कम करना होगा। भूमि अधिग्रहण के सिलसिले में श्री कुमार यहां तक कह चुके हैं कि उन्हें विशेष आर्थिक क्षेत्र(एसईजेड) की आवश्यकता नहीं है। उनकी सरकार ने प्रदेश की आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए एग्रो-प्रोसेसिंग, हैंडलूम तथा टेक्सटाइल्स, हैंडीक्राफ्ट, फार्मासिटिकल व लेदर जैसे क्षेत्रों का चयन किया है। इसके अलावा उन्होंने रोजगार सृजन और आधारभूत संरचना के विकास को प्राथमिकता दी है। उन्होंने रोजगार गारंटी योजना के क्रियान्वयन में दूसरे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। ऐसा नरेगा के तहत खेतिहर मजदूरों को 100 दिन के काम के अलावा 80 दिनों के काम के लिए अलग योजना चलाकर किया है। नीतीश सरकार ने गरीबी को परिभाषित करने के लिए नयी प्रणाली का भी प्रयोग किया है ताकि गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिताने वाले अधिक से अधिक गरीबों को चिन्हित किया जा सके और उन्हें ध्यान में रखकर विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा सकें। प्रशासनिक स्तर पर भी श्री कुमार ने महत्वपूर्ण कार्य आरंभ किए हैं।
पिछले 15 वर्षो से बिहार को उचित बजट भी उपलब्ध नहीं था। नीतीश सरकार ने निवेशकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने एवं उन्हें आकर्षित करने को भी अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया। आधारभूत संरचना के अभाव और निवेशकों को रिझाने वाली बेहतर नीतियों की कमी को ध्यान में रखकर उन्होंने कई कानून बनवाए और प्रशासनिक सुधार के अनेक कार्यक्रम आरंभ किए। वर्ष 2006 में नई उद्योग नीति लागू की। गन्ना क्षेत्र के बेहतर विकास के लिए अलग से नीति बनाने के अलावा आधारभूत संरचना के विकास के लिए बिहार इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप्मेंट एनेब्लिंग एक्ट लागू किया। उद्योग को लेकर बनी नई नीति के तहत निवेशकों को सस्ते दाम पर भूमि उपलब्ध करायी जाती है तथा जमा किए गए वैट का 80 प्रतिशत तक वापस किया जाता है। सरकार के ये प्रयास रंग लाने लगे हैं। सरकार को कई बड़े चीनी निर्माताओं के आफर आए हैं। चीनी मिलों सहित औद्योगिक काम्प्लेक्स खोलने, इथनाल तथा बिजली उत्पादन की इकाई जैसे कई प्रस्तावों को सरकार ने हरी झंडी भी दी है। चूंकि प्रदेश को बिजली के लिए मुख्य रूप से केन्द्र सरकार पर ही निर्भर करना पड़ता है इसलिए इस समस्या को दूर करने के लिए नीतीश सरकार ने अपनी खुद की थर्मल एवं हाइडल इकाई लगाने का निर्णय लिया है।

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