26 अगस्त, 2009

अपोलो अस्पताल को न्यायालय की फटकार

इलाज के लिए आने वाले गरीब मरीजों से अनाप-शनाप पैसे वसूल करने को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपोलो अस्पताल को करारी फटकार लगाई।
मुख्य न्यायाधीश एपी शाह और न्यायमूर्ति मनमोहन की खंडपीठ ने अस्पताल के वकील से कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग में आने वाले मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराने का क्या आपका यही तरीका है?
न्यायालय के पिछले निर्देशानुसार अस्पताल की ओर से गरीबों के इलाज की प्रक्रिया का ब्योरा देने के बाद पीठ ने अस्पताल को गरीबों के प्रति इसके व्यवहार के लिए फटकार लगाई और दिल्ली सरकार से ब्योरे की जाँच करने को कहा।
अस्पताल के वकील के मुताबिक अस्पताल गरीब मरीजों से डॉक्टरों की फीस और कमरे का किराया नहीं लेता लेकिन एमआरआई जैसी अन्य जाँच के लिए उनसे 6000 रुपए, एक्स-रे के लिए 120 रुपए और लीवर ट्रांसप्लांट के लिए 12 लाख रुपए लिए जाते हैं।
पीठ एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी। इसमें दिल्ली सरकार को यह निर्देश देने की माँग की गई थी कि वह अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई करे क्योंकि अस्पताल ने कथित तौर पर लीज समझौते की शर्तों का उल्लंघन किया।
याचिका में अस्पताल पर गरीब मरीजों के इलाज के लिए रियायती जमीन लिए जाने के बावजूद लीज समझौते की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था।
अस्पताल और सरकार के बीच हुए लीज समझौते के मुताबिक अपोलो को गरीबों का मुफ्त इलाज करना पड़ता है।

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