15 अगस्त, 2009
सूखे से निपटेंगे, बढ़ती कीमतों पर कसेंगे लगाम
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सकारात्मक संदेश में प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने सहयोग और सद्भाव के नए युग की शुरुआत करने की अपील करते हुए वायदा किया कि सूखे की स्थिति से निपटने के लिए किसानों को हरसंभव सहायता दी जाएगी और बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के प्रयास तेज किए जाएँगे।
63वें स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर पर राष्ट्र घ्वज फहराने के बाद राष्ट्र को लगातार छठी बार संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि सरकार राजनीतिक स्थिरता और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए काम करेगी और उसका लक्ष्य स्वर्णिम भविष्य की ओर बढ़ना होगा।
उन्होंने कहा कि जनता ने संकीर्ण राजनीति को नकारकर धर्म निरपेक्ष राजनीतिक व्यवस्था को चुना है। उन्होंने सहयोग और सद्भाव के नए युग की शुरुआत करने की अपील करते हुए वायदा किया कि आम सहमति और सहयोग का वातावरण तैयार करने के लिए हर किसी को साथ लेकर चला जाएगा।
सिंह ने कहा कि आपने हमें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है और हम विनम्रता से उसे स्वीकार करते हैं और अपनी जिम्मेदारी को पूरा करेंगे।
सूखा, आर्थिक संकट और स्वाइन फ्लू जैसी समस्याओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है। इसकी वजह से दैनिक जीवन बाधित नहीं होना चाहिए।
वैश्विक मंदी के प्रभावों की चर्चा करते हुए सिंह ने कहा कि नौ प्रतिशत की विकास दर हासिल करने की महान चुनौती को पूरा करने के लिए और अधिक विदेशी निवेश लाकर और निर्यात को प्रोत्साहित करने जैसे सभी कदम सरकार उठाएगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले चार महीने में स्थिति सुधर जाएगी। हमें उम्मीद है कि इस साल के अंत तक स्थिति में सुधार होगा।
प्रधानमंत्री ने कारोबारियों और उद्योगपतियों से कहा कि वे कठिन हालात से निपटने और अपनी सामाजिक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के प्रयासों में जुड़ें।
मानसून की कम बारिश के कारण उत्पन्न सूखे की स्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार स्थिति से निपटने के लिए किसानों को हरसंभव सहायता देगी।
इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि किसानों के बैंक कर्ज के पुनभुगतान की तारीख को स्थगित कर दिया गया है और अल्पकालिक फसल ऋण पर ब्याज भुगतान के लिए उन्हें अतिरिक्त मदद दी जाएगी।
सिंह ने जमाखोरों और कालाबाजारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि राज्य सरकारों से कहा गया है कि वे ऐसे तत्वों से निपटने के लिए कानून को सख्ती से लागू करें।
उन्होंने राष्ट्र को आश्वासन दिया कि देश में अनाज का पर्याप्त भंडार है। अनाज, दालों और दैनिक इस्तेमाल की अन्य वस्तुओं की बढ़ती कीमत पर काबू पाने के लिए सभी प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि देश में कोई भी भूखा न रहे।
सिंह ने कहा कि कृषि क्षेत्र में चार प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने के लिए देश को एक और हरित क्रांति की आवश्यकता है। अगले पाँच साल में यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। अल्पसंख्यकों पर विशेष ध्यान देने का वायदा करते हुए उन्होंने कहा कि उन पर ध्यान केन्द्रित करना कोई तुष्टिकरण नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने अल्पसंख्यकों के फायदे के लिए कई कार्यक्रम बनाए हैं और उनके कल्याण की योजनाओं के लिए आवंटन बढ़ाया गया है।
उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए एक विधेयक संसद में पेश किया जाएगा और इसे जल्द से जल्द कानून बनाने का प्रयास किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सुनिश्चित करेगी कि विकास के फायदे समाज के हर वर्ग और देश के हर धर्म और नागरिक तक पहुँचें।
मुंबई हमलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवाद देश के समक्ष बड़ी चुनौती है और सरकार इससे निपटने के प्रयास तेज करेगी। आतंकवादी गतिविधियों को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए सुरक्षाबलों और खुफिया एजेंसियों का लगातार उन्नयन किया जा रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि सरकार को अपने इस प्रयास में सभी वर्गों से सहयोग मिलेगा।
सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार राज्यों के पुलिस बल को और प्रभावशाली बनाने के लिए राज्य सरकारों को सभी सहायता देगी। उन्होंने कहा कि जो लोग सोचते हैं कि बंदूक के दम पर वे सत्ता हथिया सकते हैं, वे हमारे लोकतंत्र की ताकत को नहीं जानते।
जम्मू-कश्मीर का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि वहाँ पिछले एक साल में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव इस बात का पुख्ता सबूत हैं कि राज्य में कहीं भी अलगाववादी विचारधारा का कोई स्थान नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश करेगी कि राज्य में मानवाधिकारों का सम्मान हो और हर नागरिक शांति एवं सम्मान के साथ सुरक्षा के माहौल में रह सके।
सिंह ने कहा कि हर सरकार को जनता की शिकायतों और असंतोष के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि लेकिन सार्वजनिक संपत्ति को ध्वस्त कर और हिंसा में लिप्त होकर कुछ भी नहीं हासिल किया जा सकता। ऐसे लोगों से सरकार सख्ती से निपटेगी।
नक्सलवाद के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार उन सामाजिक और आर्थिक असंतोष के हालात को हटाने की कोशिश करेगी, जिनकी वजह से यह समस्या बढ़ती है ।
विदेश नीति के बारे में उन्होंने कहा कि भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ शांति और सद्भाव के साथ रहना चाहता है और दक्षिण एशिया में अनुकूल सामाजिक एवं आर्थिक विकास के हालात पैदा करने के हरसंभव प्रयास करेगा।
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