विश्वविख्यात लंदन स्कूल आफ इकोनामिक्स के आमंत्रण पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंदन नहीं जा सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सूखे से निपटने को लेकर उनकी जो व्यस्तता है, ऐसी स्थिति में लंदन जाने के लिए समय निकालना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन लग रहा है। वैसे उन्होंने अभी इस बारे में कुछ तय नहीं किया है। फिलहाल उनका ज्यादातर वक्त सूखे से निपटने को लेकर बन रही नीति और तैयारियों की समीक्षा में जा रहा है।
मालूम हो कि सितंबर में लंदन स्कूल आफ इकोनामिक्स ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक रिसर्च कार्यक्रम के सिलसिले में लंदन आने का न्योता दिया है। शनिवार को संवाददाताओं से उन्होंने कहा कि अभी लोगों को सूखे की मार का असर नहीं दिख रहा है, पर अक्टूबर में यह संकट और अधिक गहराने लगेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सूखे का जायजा लेने आई केंद्रीय टीम के साथ उनकी बातचीत हुई है। हमने उनसे दो मामलों के बारे में पूरी तरह से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। केंद्र को इस बारे में स्पष्ट व्यवस्था करनी होगी कि राहत सामग्री के तौर पर जीआर [ग्रेच्युटस रिलीफ] यानी तात्कालिक राहत के तौर पर राशन सामग्री कितने लोगों के बीच वितरित करनी है। जीआर वितरण के बार स्पष्ट दिशा निर्देश जरूरी है। इसी तरह नरेगा की राशि के बारे में केंद्र को पूरी स्थिति साफ तरीके से रखनी होगी। राज्य सरकार अपने खर्चे के लिए राशि नहीं मांग रही बल्कि बड़े स्तर पर लोगों को रोजगार उपलब्ध कराए जाने के लिए केंद्र से मांगी गई धनराशि का मिलना जरूरी है।